देवी दुर्गा की पूजा के लिए दुर्गा स्तुति की जाती है। हिंदू धर्म में देवी दुर्गा की पूजा करने की परंपरा है। खासतौर पर नवरात्रि के दिनों में देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है।
नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा की पूजा विशेष फलदायी होती है। नवरात्रि ही एक ऐसा त्यौहार है जिसमें देवी दुर्गा, महाकाली, महालक्ष्मी और सरस्वती की पूजा करके जीवन को सार्थक बनाया जा सकता है।
अगर आप जीवन में भय और बाधाओं से परेशान हैं तो यह मंत्र आपके लिए ही है।
दुर्गा स्तुति हेतु श्लोक
या देवी सर्वभूतेषु मातृरुपेण संस्थितः | या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरुपेण संस्थितः |
या देवी सर्वभूतेषु शान्तिरुपेण संस्थितः | नमस्तस्यैः नमस्तस्यैः नमस्तस्यैः नमो नमः |
ॐ अम्बायै नमः || ||
माँ दुर्गा स्तुति मंत्र | Durga Stuti
सर्वस्य बुद्धि -रूपेण जनस्य हृदि संस्थिते
स्वर्गापवर्गदे देवी नारायणी नमोस्तुते I
कालकस्तादिरूपेण परिणाम -प्रदायिनी
विस्वस्योपरतौ सक्त्यै नारायणी नमोस्तुते I
सर्व -मङ्गल -मङ्गल्ये शिवे सर्वार्थ -साधिके
शरण्ये त्र्यम्बके गौरी नारायणी नमोस्तुते |
सर्ष्टि -स्थिति -विनासानां शक्ति भूते सनातनी
गुणाश्रये गुणमयी नारायणी नमोस्तुते |
शरणागत -दिनार्त -परित्राण – परायणे
सर्वस्वर्ति -हरे देवी नारायणी नमोस्तुते |
हंस -युक्त -विमान -स्थे ब्राह्मं रूप -धारिणी
कौसम्भः क्षरिके देवी नारायणी नमोस्तुते |
त्रिशूल-चान्द्राहि -धरे महा -वृषभ -वाहिनी
महेश्वरी -स्वरूपेण नारायणी नमोस्तुते I
मयूर -कुक्कुटा-वृते महा -शक्ति -धरे नाघे
कौमारी रूप -संस्थाने नारायणी नमोस्तुते |
संख -चक्र -गदसार्ङ्ग -गृहीत -परमायुधे
प्रसीद वैष्णवी-रूपे नारायणी नमोस्तुते |
गृहितोग्र -महाचक्रे दन्स्त्रोद्ध्रित -वसुन्धरे
वराह -रूपिणी शिवे नारायणी नमोस्तुते |
नरसिंह रुपेनोग्रेण हन्तुं दैत्यन कृतोद्यमे
त्रैलोक्य -त्राण-सहिते नारायणी नमोस्तुते |
किरीटिनि महावज्रे सहस्र -नयनोज्ज्वले
वृत्र -प्राण -हरे चैन्द्री नारायणी नमोस्तुते |
शिव दूति-स्वरूपेण हत -दैत्य -महाबले
घोर -रूपे महारवे नारायणी नमोस्तुते |
दंष्ट्त्र -कराल-वदने सिरोमाल -विभूषणे
चामुण्डे मुण्ड -मथने नारायणी नमोस्तुते |
लक्ष्मी लज्जे महाविदये श्राद्धे पुष्टि -स्व्रधे ध्रुवे
महारात्रि महा विदये नारायणी नमोस्तुते |
मेधे सरस्वती वरे भूति बभ्रावि तमसि
नियते त्वं प्रसीदेसे नारायणी नमोस्तुते |
Durga Stuti Lyrics
सर्वाधिक प्रचलित दुर्गा स्तुति
दरअसल, मां दुर्गा की स्तुति के लिए पद्य रूप में कई छंदों की रचना की गई है और अलग-अलग रूपों में उनकी स्तुति भी की जाती है। इनमें से सबसे लोकप्रिय दुर्गा स्तुति इस प्रकार है –
जय भगवति देवी नमो वरदे जय पापविनाशिनि बहुफलदे।
जय शुम्भनिशुम्भकपालधरे प्रणमामि तु देवी नरार्तिहरे॥1॥
जय चन्द्रदिवाकरनेत्रधरे जय पावकभूषितवक्त्रवरे।
जय भैरवदेहनिलीनपरे जय अन्धकदैत्यविशोषकरे॥2॥
जय महिषविमर्दिनि शूलकरे जय लोकसमस्तकपापहरे।
जय देवी पितामहविष्णुनते जय भास्करशक्रशिरोवनते॥3॥
जय षण्मुखसायुधईशनुते जय सागरगामिनि शम्भुनुते।
जय दु:खदरिद्रविनाशकरे जय पुत्रकलत्रविवृद्धिकरे॥4॥
जय देवी समस्तशरीरधरे जय नाकविदर्शिनि दु:खहरे।
जय व्याधिविनाशिनि मोक्ष करे जय वाञ्छितदायिनि सिद्धिवरे॥5॥
एतद्व्यासकृतं स्तोत्रं य: पठेन्नियत: शुचि:।
गृहे वा शुद्धभावेन प्रीता भगवती सदा॥6॥
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Durga Saptshati Mantra | दुर्गा सप्तशती मंत्र
1. कल्याण मंत्र
सर्व मंगलं मांगल्ये शिवे सर्वाथ साधिके ।
शरण्येत्र्यंबके गौरी नारायणि नमोस्तुऽते॥
2. बाधाओं से मुक्ति और धन प्राप्ति के लिए, पुत्र प्राप्ति के लिए
सर्वाबाधा वि निर्मुक्तो धन धान्य सुतान्वितः।
मनुष्यों मत्प्रसादेन भवष्यति न संशय॥
3. स्वास्थ्य और सौभाग्य पाने का मंत्र
देहि सौभाग्यं आरोग्यं देहि में परमं सुखम्।
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषोजहि॥
4. बाधा निवारण मंत्र
सर्वबाधा प्रशमनं त्रेलोक्यसयाखिलेशवरी।
एवमेय त्याया कार्य मस्माद्वैरि विनाशनम्॥
5. संकट दूर करने का मंत्र
शरणागतर्दनार्त परित्राण पारायणे।
सर्व स्यार्ति हरे देवि नारायणि नमोऽतुते॥
6. समृद्धि, सौभाग्य, धन और शत्रु भय से मुक्ति के लिए मंत्र
ऐश्वर्य यत्प्रसादेन सौभाग्य-आरोग्य सम्पदः।
शत्रु हानि परो मोक्षः स्तुयते सान किं जनै॥
7. महामारी नाश का मंत्र
जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी।।
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते।।
भगवान श्री कृष्ण की माँ दुर्गा स्तुति
शास्त्रों में वर्णित है कि भगवान श्री कृष्ण ने भी मां दुर्गा की स्तुति की थी। श्री कृष्ण ने माँ की स्तुति इस प्रकार की है:-
त्वमेवसर्वजननी मूलप्रकृतिरीश्वरी। त्वमेवाद्या सृष्टिविधौ स्वेच्छया त्रिगुणात्मिका॥
कार्यार्थे सगुणा त्वं च वस्तुतो निर्गुणा स्वयम्। परब्रह्मस्वरूपा त्वं सत्या नित्या सनातनी॥
तेज:स्वरूपा परमा भक्त अनुग्रहविग्रहा। सर्वस्वरूपा सर्वेशा सर्वाधारा परात्परा॥
सर्वबीजस्वरूपा च सर्वपूज्या निराश्रया। सर्वज्ञा सर्वतोभद्रा सर्वमङ्गलमङ्गला॥
सर्वबुद्धिस्वरूपा च सर्वशक्ति स्वरूपिणी। सर्वज्ञानप्रदा देवी सर्वज्ञा सर्वभाविनी।
त्वं स्वाहा देवदाने च पितृदाने स्वधा स्वयम्। दक्षिणा सर्वदाने च सर्वशक्ति स्वरूपिणी।
निद्रा त्वं च दया त्वं च तृष्णा त्वं चात्मन: प्रिया। क्षुत्क्षान्ति: शान्तिरीशा च कान्ति: सृष्टिश्च शाश्वती॥
श्रद्धा पुष्टिश्च तन्द्रा च लज्जा शोभा दया तथा। सतां सम्पत्स्वरूपा श्रीर्विपत्तिरसतामिह॥
प्रीतिरूपा पुण्यवतां पापिनां कलहाङ्कुरा। शश्वत्कर्ममयी शक्ति : सर्वदा सर्वजीविनाम्॥
देवेभ्य: स्वपदो दात्री धातुर्धात्री कृपामयी। हिताय सर्वदेवानां सर्वासुरविनाशिनी॥
योगनिद्रा योगरूपा योगदात्री च योगिनाम्। सिद्धिस्वरूपा सिद्धानां सिद्धिदाता सिद्धियोगिनी॥
माहेश्वरी च ब्रह्माणी विष्णुमाया च वैष्णवी। भद्रदा भद्रकाली च सर्वलोकभयंकरी॥
ग्रामे ग्रामे ग्रामदेवी गृहदेवी गृहे गृहे। सतां कीर्ति: प्रतिष्ठा च निन्दा त्वमसतां सदा॥
महायुद्धे महामारी दुष्टसंहाररूपिणी। रक्षास्वरूपा शिष्टानां मातेव हितकारिणी॥
वन्द्या पूज्या स्तुता त्वं च ब्रह्मादीनां च सर्वदा। ब्राह्मण्यरूपा विप्राणां तपस्या च तपस्विनाम्॥
विद्या विद्यावतां त्वं च बुद्धिर्बुद्धिमतां सताम्। मेधास्मृतिस्वरूपा च प्रतिभा प्रतिभावताम्॥
राज्ञां प्रतापरूपा च विशां वाणिज्यरूपिणी। सृष्टौ सृष्टिस्वरूपा त्वं रक्षारूपा च पालने॥
तथान्ते त्वं महामारी विश्वस्य विश्वपूजिते। कालरात्रिर्महारात्रिर्मोहरात्रिश्च मोहिनी॥
दुरत्यया मे माया त्वंयया सम्मोहितं जगत्। ययामुग्धो हि विद्वांश्च मोक्षमार्ग न पश्यति॥
इत्यात्मना कृतं स्तोत्रं दुर्गाया दुर्गनाशनम्। पूजाकाले पठेद् यो हि सिद्धिर्भवति वांछिता॥
वन्ध्या च काकवन्ध्या च मृतवत्सा च दुर्भगा। श्रुत्वा स्तोत्रं वर्षमेकं सुपुत्रं लभते ध्रुवम्॥
कारागारे महाघोरे यो बद्धो दृढबन्धने। श्रुत्वा स्तोत्रं मासमेकं बन्धनान्मुच्यते ध्रुवम्॥
यक्ष्मग्रस्तो गलत्कुष्ठी महाशूली महाज्वरी। श्रुत्वा स्तोत्रं वर्षमेकं सद्यो रोगात् प्रमुच्यते॥
पुत्रभेदे प्रजाभेदे पत्नीभेदे च दुर्गत:। श्रुत्वा स्तोत्रं मासमेकं लभते नात्र संशय:॥
राजद्वारे श्मशाने च महारण्ये रणस्थले। हिंस्त्रजन्तुसमीपे च श्रुत्वा स्तोत्रं प्रमुच्यते॥
गृहदाहे च दावागनै दस्युसैन्यसमन्विते। स्तोत्रश्रवणमात्रेण लभते नात्र संशय:॥
महादरिद्रो मूर्खश्च वर्ष स्तोत्रं पठेत्तु य:। विद्यावान धनवांश्चैव स भवेन्नात्र संशय:॥
दुर्गा स्तुति | Durga Stuti In Hindi
हे सिंहवाहिनी, शक्तिशालिनी, कष्टहारिणी माँ दुर्गे।
महिषासुरमर्दिनि, भव भय भंजनि, शक्तिदायिनी माँ दुर्गे।
तुम निर्बल की रक्षक, भक्तों का बल विश्वास बढ़ाती हो
दुष्टों पर बल से विजय प्राप्त करने का पाठ पढ़ाती हो।
हे जगजननी, रणचण्डी, रण में शत्रुनाशिनी माँ दुर्गे।
जग के कण-कण में
महाशक्ति की व्याप्त अमर तुम चिंगारी
दृढ़ निश्चय की निर्भय प्रतिमा, जिससे डरते अत्याचारी।
हे शक्ति स्वरूपा, विश्ववन्द्य, कालिका, मानिनि माँ दुर्गे।
तुम परब्रम्ह की परम ज्योति
दुष्टों से जग की त्राता हो
पर भावुक भक्तों की कल्याणी परमवत्सला माता हो।
निशिचर विदारिणी, जग विहारिणि, स्नेहदायिनी माँ दुर्गे।
दुर्गा चालीसा | Durga Chalisa
नमो नमो दुर्गे सुख करनी। नमो नमो दुर्गे दुःख हरनी॥
निरंकार है ज्योति तुम्हारी। तिहूं लोक फैली उजियारी॥
शशि ललाट मुख महाविशाला। नेत्र लाल भृकुटि विकराला॥
रूप मातु को अधिक सुहावे। दरश करत जन अति सुख पावे॥
तुम संसार शक्ति लै कीना। पालन हेतु अन्न धन दीना॥
अन्नपूर्णा हुई जग पाला। तुम ही आदि सुन्दरी बाला॥
प्रलयकाल सब नाशन हारी। तुम गौरी शिवशंकर प्यारी॥
शिव योगी तुम्हरे गुण गावें। ब्रह्मा विष्णु तुम्हें नित ध्यावें॥
रूप सरस्वती को तुम धारा। दे सुबुद्धि ऋषि मुनिन उबारा॥
धरयो रूप नरसिंह को अम्बा। परगट भई फाड़कर खम्बा॥
रक्षा करि प्रह्लाद बचायो। हिरण्याक्ष को स्वर्ग पठायो॥
लक्ष्मी रूप धरो जग माहीं। श्री नारायण अंग समाहीं॥
क्षीरसिन्धु में करत विलासा। दयासिन्धु दीजै मन आसा॥
हिंगलाज में तुम्हीं भवानी। महिमा अमित न जात बखानी॥
मातंगी अरु धूमावति माता। भुवनेश्वरी बगला सुख दाता॥
श्री भैरव तारा जग तारिणी। छिन्न भाल भव दुःख निवारिणी॥
केहरि वाहन सोह भवानी। लांगुर वीर चलत अगवानी॥
कर में खप्पर खड्ग विराजै। जाको देख काल डर भाजै॥
सोहै अस्त्र और त्रिशूला। जाते उठत शत्रु हिय शूला॥
नगरकोट में तुम्हीं विराजत। तिहुंलोक में डंका बाजत॥
शुंभ निशुंभ दानव तुम मारे। रक्तबीज शंखन संहारे॥
महिषासुर नृप अति अभिमानी। जेहि अघ भार मही अकुलानी॥
रूप कराल कालिका धारा। सेन सहित तुम तिहि संहारा॥
परी गाढ़ संतन पर जब जब। भई सहाय मातु तुम तब तब॥
अमरपुरी अरु बासव लोका। तब महिमा सब रहें अशोका॥
ज्वाला में है ज्योति तुम्हारी। तुम्हें सदा पूजें नर-नारी॥
प्रेम भक्ति से जो यश गावें। दुःख दारिद्र निकट नहिं आवें॥
ध्यावे तुम्हें जो नर मन लाई। जन्म-मरण ताकौ छुटि जाई॥
जोगी सुर मुनि कहत पुकारी। योग न हो बिन शक्ति तुम्हारी॥
शंकर आचारज तप कीनो। काम अरु क्रोध जीति सब लीनो॥
निशिदिन ध्यान धरो शंकर को। काहु काल नहिं सुमिरो तुमको॥
शक्ति रूप का मरम न पायो। शक्ति गई तब मन पछितायो॥
शरणागत हुई कीर्ति बखानी। जय जय जय जगदम्ब भवानी॥
भई प्रसन्न आदि जगदम्बा। दई शक्ति नहिं कीन विलम्बा॥
मोको मातु कष्ट अति घेरो। तुम बिन कौन हरै दुःख मेरो॥
आशा तृष्णा निपट सतावें। रिपू मुरख मौही डरपावे॥
शत्रु नाश कीजै महारानी। सुमिरौं इकचित तुम्हें भवानी॥
करो कृपा हे मातु दयाला। ऋद्धि-सिद्धि दै करहु निहाला।
जब लगि जिऊं दया फल पाऊं । तुम्हरो यश मैं सदा सुनाऊं ॥
दुर्गा चालीसा जो कोई गावै। सब सुख भोग परमपद पावै॥
देवीदास शरण निज जानी। करहु कृपा जगदम्ब भवानी॥
॥ इति श्री दुर्गा चालीसा सम्पूर्ण ॥
Durga Aarti : दुर्गा आरती-जय अम्बे गौरी
जय अम्बे गौरी मैया जय मंगल मूर्ति ।
तुमको निशिदिन ध्यावत हरि ब्रह्मा शिव री ॥टेक॥
मांग सिंदूर बिराजत टीको मृगमद को ।
उज्ज्वल से दोउ नैना चंद्रबदन नीको ॥जय॥
कनक समान कलेवर रक्ताम्बर राजै।
रक्तपुष्प गल माला कंठन पर साजै ॥जय॥
केहरि वाहन राजत खड्ग खप्परधारी ।
सुर-नर मुनिजन सेवत तिनके दुःखहारी ॥जय॥
कानन कुण्डल शोभित नासाग्रे मोती ।
कोटिक चंद्र दिवाकर राजत समज्योति ॥जय॥
शुम्भ निशुम्भ बिडारे महिषासुर घाती ।
धूम्र विलोचन नैना निशिदिन मदमाती ॥जय॥
चौंसठ योगिनि मंगल गावैं नृत्य करत भैरू।
बाजत ताल मृदंगा अरू बाजत डमरू ॥जय॥
भुजा चार अति शोभित खड्ग खप्परधारी।
मनवांछित फल पावत सेवत नर नारी ॥जय॥
कंचन थाल विराजत अगर कपूर बाती ।
श्री मालकेतु में राजत कोटि रतन ज्योति ॥जय॥
श्री अम्बेजी की आरती जो कोई नर गावै ।
कहत शिवानंद स्वामी सुख-सम्पत्ति पावै ॥जय॥
माँ दुर्गा स्तुति की सही विधि | Durga Stuti Paath
चैत्र नवरात्रि और शरद नवरात्रि के दौरान दुर्गा स्तुति अवश्य करनी चाहिए। इसके अलावा आप रोजाना मां दुर्गा की स्तुति भी कर सकते हैं. इससे लोगों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं और उनके सभी काम पूरे होते हैं।
हालाँकि, शास्त्रों में बताया गया है कि दुर्गा स्तुति को बताई गई विधि के अनुसार ही किया जाना चाहिए, तभी इसका वास्तविक फल मिलता है। आइए जानते हैं मां दुर्गा की स्तुति करने की सही विधि क्या है।
- सबसे पहले शौच आदि से निवृत्त होकर स्नान कर लें।
- साफ कपड़े पहनें और देवी मां की स्तुति करने की तैयारी करें।
- अब मां दुर्गा का ध्यान करें।
- मां दुर्गा की स्तुति करने से पहले एक संकल्प लें।
- देवी दुर्गा की मूर्ति को पंचामृत से स्नान कराएं।
- कलश की स्थापना करें।
- मां दुर्गा के सामने घी का दीपक जलाएं।
- भगवान गणेश की पूजा करें ।
- फिर मां दुर्गा का आह्वान करें।
- मां को शृंगार के लिए आवश्यक वस्तुएं भेंट करें।
- नारियल चढ़ाएं।
- मां दुर्गा की स्तुति करें।
- अंत में मां दुर्गा की आरती करें।
FAQ
1. माँ दुर्गा कौन हैं?
माँ दुर्गा हिंदू धर्म में शक्ति और पराक्रम की देवी हैं। इन्हें देवताओं की रक्षा करने वाली और राक्षसों का नाश करने वाली देवी माना जाता है। माँ दुर्गा को अनेक रूपों में पूजा जाता है, जिनमें प्रमुख हैं:
- शैलपुत्री: पर्वतों की देवी
- कत्यायनी: ऋषियों द्वारा उत्पन्न देवी
- कौशिकी: दुर्गा का रूप जो महिषासुर का वध करती है
- चंडी: क्रोधित रूप
- शिवदुर्गा: शिव और दुर्गा का मिलन रूप
- भवानी: भव (जीवन) देने वाली देवी
- भ्रामरी: भ्रम को दूर करने वाली देवी
2. माँ दुर्गा की स्तुति क्यों की जाती है?
माँ दुर्गा की स्तुति अनेक कारणों से की जाती है, जिनमें शामिल हैं:
- शक्ति प्राप्ति: माँ दुर्गा को शक्ति और पराक्रम की देवी माना जाता है, इसलिए उनकी स्तुति करने से भक्तों को शक्ति और आत्मविश्वास प्राप्त होता है।
- दुखों से मुक्ति: माँ दुर्गा को बुराइयों और बाधाओं को दूर करने वाली देवी माना जाता है, इसलिए उनकी स्तुति करने से भक्तों को दुखों और परेशानियों से मुक्ति मिलती है।
- मनोकामना पूर्ति: माँ दुर्गा को सभी मनोकामनाएं पूर्ण करने वाली देवी माना जाता है, इसलिए उनकी स्तुति करने से भक्तों की इच्छाएं पूरी होती हैं।
- आध्यात्मिक उन्नति: माँ दुर्गा की स्तुति करने से भक्तों को आध्यात्मिक उन्नति और ज्ञान प्राप्त होता है।
- सुरक्षा और समृद्धि: माँ दुर्गा को घर-परिवार और समाज की रक्षा करने वाली देवी माना जाता है, इसलिए उनकी स्तुति करने से भक्तों को सुरक्षा और समृद्धि प्राप्त होती है।
3. माँ दुर्गा की स्तुति कैसे करें?
माँ दुर्गा की स्तुति करने के अनेक तरीके हैं, जिनमें शामिल हैं:
- दुर्गा सप्तशती का पाठ: दुर्गा सप्तशती माँ दुर्गा की स्तुति का सबसे प्रसिद्ध ग्रंथ है। इसका पाठ करने से भक्तों को अनेक लाभ प्राप्त होते हैं।
- दुर्गा स्तोत्र का पाठ: माँ दुर्गा के अनेक स्तोत्र हैं, जिनका पाठ करके भक्त उनकी स्तुति कर सकते हैं।
- दुर्गा मंत्रों का जाप: माँ दुर्गा के अनेक मंत्र हैं, जिनका जाप करके भक्त उनकी स्तुति कर सकते हैं।
- दुर्गा पूजन: नवरात्रि के दौरान माँ दुर्गा का पूजन किया जाता है। इस दौरान भक्त उनकी स्तुति करते हैं और उनसे आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
- दुर्गा आरती: माँ दुर्गा की आरती गाकर भक्त उनकी स्तुति कर सकते हैं।
4. माँ दुर्गा की स्तुति करने का सबसे अच्छा समय कौन सा है?
माँ दुर्गा की स्तुति किसी भी समय की जा सकती है, लेकिन नवरात्रि के दौरान उनकी स्तुति करना विशेष रूप से शुभ माना जाता है। नवरात्रि में नौ दिनों तक माँ दुर्गा की पूजा की जाती है और उनकी स्तुति की जाती है।
5. माँ दुर्गा की स्तुति करते समय क्या ध्यान रखना चाहिए?
माँ दुर्गा की स्तुति करते समय कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए,
6. माँ दुर्गा की स्तुति से क्या लाभ होते हैं?
माँ दुर्गा की स्तुति से अनेक लाभ होते हैं, जिनमें शामिल हैं:
- शक्ति और आत्मविश्वास: माँ दुर्गा की स्तुति करने से भक्तों को शक्ति और आत्मविश्वास प्राप्त होता है।
- शक्ति और आत्मविश्वास: कठिन परिस्थितियों का सामना करने का बल मिलता है और जीवन की चुनौतियों से पार पाने में सहायता मिलती है।
- मन की शांति: माँ दुर्गा की स्तुति करने से मन को शांति और स्थिरता प्राप्त होती है। भक्तों को तनाव और चिंता से मुक्ति मिलती है।
- सकारात्मक ऊर्जा: माँ दुर्गा की स्तुति करने से सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ता है, जिससे भक्तों का जीवन सकारात्मक दिशा में चलता है।
- भाग्य का उदय: माना जाता है कि माँ दुर्गा की स्तुति करने से भाग्य का उदय होता है और जीवन में सफलता प्राप्त होती है।
- आध्यात्मिक विकास: माँ दुर्गा की स्तुति करने से भक्तों का आध्यात्मिक विकास होता है और उन्हें आत्मज्ञान प्राप्त होता है।
7. क्या माँ दुर्गा की कोई विशेष भेंट चढ़ानी चाहिए?
माँ दुर्गा को आप श्रद्धा अनुसार कोई भी भेंट चढ़ा सकते हैं। उन्हें प्रसन्न करने के लिए भक्ति और सच्चे मन का होना सबसे ज्यादा जरूरी है। हालांकि, आप उन्हें कुछ खास चीजें भी अर्पित कर सकते हैं, जैसे:
- लाल रंग का वस्त्र: लाल रंग माँ दुर्गा का प्रिय रंग माना जाता है।
- शमी के पत्ते: शमी के पत्ते शुभता का प्रतीक माने जाते हैं।
- फल और फूल: माँ दुर्गा को ताजे फल और फूल चढ़ाए जा सकते हैं।
- मिठाई: आप उन्हें उनका प्रिय भोग, “भोग” (मीठा व्यंजन) भी चढ़ा सकते हैं।
8. क्या घर पर ही माँ दुर्गा की स्तुति की जा सकती है?
जी हां, आप घर पर ही माँ दुर्गा की स्तुति कर सकते हैं। इसके लिए आप अपने पूजा स्थान को साफ-सुथर बना लें और श्रद्धा भाव से उनकी स्तुति करें। मंदिर जाकर पूजा करना शुभ माना जाता है, लेकिन घर पर भी आप पूरी श्रद्धा से उनकी स्तुति कर सकते हैं।
9. माँ दुर्गा की स्तुति के लिए कोई खास माला होनी चाहिए?
नहीं, माँ दुर्गा की स्तुति के लिए कोई खास माला नहीं होती है। आप रुद्राक्ष की माला, तुलसी की माला या चंदन की माला का उपयोग कर सकते हैं। अपनी श्रद्धा अनुसार कोई भी माला का उपयोग किया जा सकता है।
10. क्या माँ दुर्गा की स्तुति करते वक्त कोई विशेष मंत्र जानना जरूरी है?
नहीं, माँ दुर्गा की स्तुति के लिए कोई विशेष मंत्र जानना जरूरी नहीं है। आप उन्हें सरल शब्दों में भी पुकार सकते हैं और अपनी मनोकामनाएं उनसे कह सकते हैं। हालांकि, कुछ प्रसिद्ध मंत्र हैं, जैसे कि “ॐ य देवी सर्वभूतेषु मातृ रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।” इन मंत्रों का जाप भी लाभदायक होता है।
11. क्या माँ दुर्गा की मूर्ति या चित्र के सामने ही स्तुति करनी चाहिए?
माँ दुर्गा की मूर्ति या चित्र के सामने स्तुति करना शुभ माना जाता है, लेकिन यह अनिवार्य नहीं है। आप उन्हें अपने मन में भी स्मरण कर सकते हैं और उनकी स्तुति कर सकते हैं। आपकी श्रद्धा ही सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है।
12. क्या माँ दुर्गा की स्तुति करते समय कोई विशेष व्रत रखना चाहिए?
माँ दुर्गा की स्तुति करते समय कोई विशेष व्रत रखना अनिवार्य नहीं है। आप अपनी इच्छा अनुसार उपवास रख सकते हैं। हालांकि, सात्विक भोजन करने से आपकी एकाग्रता बढ़ती है और स्तुति का फल अधिक मिलता है।
13. माँ दुर्गा की स्तुति करने वाले बच्चों के लिए क्या खास बातें हैं?
बच्चों के लिए माँ दुर्गा की स्तुति एक मजेदार और सीखने का अनुभव हो सकता है। आप उन्हें निम्न तरीकों से जोड़ सकते हैं:
- कहानियां सुनाएं: माँ दुर्गा के विभिन्न रूपों और उनके कार्यों के बारे में बच्चों को कहानियां सुनाएं। इससे उन्हें माँ दुर्गा के बारे में जानने में मदद मिलेगी और उनमें श्रद्धा पैदा होगी।
- भजन और आरती सिखाएं: बच्चों को सरल भजन और आरती सिखाएं। उन्हें माँ दुर्गा के गीत गाना पसंद आएगा और यह उनकी भक्ति बढ़ाने में मदद करेगा।
- रंगोली बनाएं: त्योहारों के दौरान बच्चों के साथ मिलकर रंगोली बनाएं। रंगोली बनाने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और यह बच्चों के लिए एक मजेदार गतिविधि भी है।
- साथ मिलकर पूजा करें: बच्चों को पूजा की थाली सजाने,आसान और मंत्रों को दोहराने में शामिल करें। इससे उन्हें जिम्मेदारी का अहसास होगा और वे पूजा में शामिल होने के लिए उत्साहित रहेंगे।
- सकारात्मक मूल्य सिखाएं: माँ दुर्गा की कहानियों के माध्यम से बच्चों को सत्य, न्याय, और बुराई पर अच्छाई की विजय जैसे सकारात्मक मूल्यों को सिखाएं।
14. क्या माँ दुर्गा की स्तुति करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं?
माना जाता है कि माँ दुर्गा सच्ची श्रद्धा और भक्ति से की गई स्तुति से प्रसन्न होती हैं और अपने भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करती हैं। हालांकि, यह जरूरी नहीं है कि हर इच्छा तुरंत पूरी हो जाए। कभी-कभी हमें धैर्य रखना पड़ता है और कर्म करते रहना पड़ता है। माँ दुर्गा हमें वही चीजें देती हैं जो हमारे लिए सबसे अच्छी होती हैं।
15. माँ दुर्गा की स्तुति करने वालों के लिए कोई सावधानी या नियम हैं?
माँ दुर्गा की स्तुति करते समय कोई सख्त नियम नहीं हैं। लेकिन कुछ बातों का ध्यान रखना अच्छा होता है, जैसे कि:
- पवित्रता: पूजा स्थल और स्वयं को साफ रखें।
- सकारात्मक भाव: ईश्वर के प्रति श्रद्धा और सकारात्मक भाव रखें।
- निष्काम भाव: सिर्फ मनोकामना पूर्ति के लिए ही नहीं, बल्कि शुद्ध भक्ति के लिए उनकी स्तुति करें।
- अहंकार का त्याग: विनम्र भाव से प्रार्थना करें।
- सभी प्राणियों पर दया: दूसरों के प्रति दयालु रहें, तभी ईश्वर की कृपा प्राप्त होती है।
16. क्या हर रोज माँ दुर्गा की स्तुति की जा सकती है?
जी हां, आप हर रोज माँ दुर्गा की स्तुति कर सकते हैं। नियमित रूप से की गई स्तुति का फल अधिक मिलता है। आप सुबह या शाम के समय उनकी स्तुति कर सकते हैं।
17. माँ दुर्गा की स्तुति के लिए कोई खास दिन होता है?
माँ दुर्गा की स्तुति किसी भी दिन की जा सकती है, लेकिन नवरात्रि के नौ दिन उनके पूजन और स्तुति के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण माने जाते हैं। इसके अलावा, मंगलवार और शुक्रवार के दिन भी माँ दुर्गा की स्तुति करना शुभ माना जाता है।
18. क्या स्तुति के अलावा माँ दुर्गा को खुश करने का कोई और तरीका है?
जी हां, माँ दुर्गा को खुश करने के कई तरीके हैं, जैसे कि:
- दान-पुण्य करना: जरूरतमंद लोगों की मदद करें। इससे माँ दुर्गा प्रसन्न होती हैं।
- सत्य का पालन करना: हमेशा सत्य बोलें और सत्य के मार्ग पर चलें।
- सत्य का पालन करना: इससे माँ दुर्गा खुश होती हैं और आपका मार्गदर्शन करती हैं।
- अच्छे कर्म करना: दूसरों की मदद करें, दयालु बनें और अच्छे कर्म करें। यही माँ दुर्गा को सबसे ज्यादा प्रसन्न करता है।
- क्रोध और ईर्ष्या का त्याग: क्रोध और ईर्ष्या से बचें। मन को शांत रखें और सकारात्मक रहें।
- आत्मसंयम रखना: धैर्य और आत्मसंयम रखें। कठिन परिस्थितियों में भी हिम्मत न हारें।
19. क्या माँ दुर्गा की स्तुति करने का वैज्ञानिक आधार है?
धर्म और आध्यात्मिकता के क्षेत्र में वैज्ञानिक शोध अभी भी प्रारंभिक अवस्था में है। माना जाता है कि मंत्र जप और ध्यान करने से मस्तिष्क की तरंगें शांत होती हैं, जिससे तनाव कम होता है और मन को शांति मिलती है। शांत और सकारात्मक मन से ही हम सही निर्णय ले पाते हैं और अपने जीवन में सफलता प्राप्त कर सकते हैं। इस अर्थ में, माँ दुर्गा की स्तुति से जुड़े कुछ क्रियाकलापों का वैज्ञानिक आधार हो सकता है।
20. आखिरकार, माँ दुर्गा की स्तुति का असली मकसद क्या है?
माँ दुर्गा की स्तुति का असली मकसद सिर्फ मनोकामना पूर्ति ही नहीं है। इसका मुख्य उद्देश्य है:
- आध्यात्मिक विकास: माँ दुर्गा की स्तुति से हमें आत्मज्ञान प्राप्त होता है और हमारी आत्मा का विकास होता है।
- शक्ति का स्रोत: माँ दुर्गा की स्तुति से हमें अपने भीतर छिपी शक्ति का पता चलता है और कठिनाइयों से लड़ने का बल मिलता है।
- आंतरिक शांति: माँ दुर्गा की स्तुति से मन को शांति मिलती है और हम तनावमुक्त रह पाते हैं।
- सकारात्मक जीवन: माँ दुर्गा की स्तुति से हम सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाते हैं और अपने जीवन में सफलता प्राप्त करते हैं।
- ईश्वर से जुड़ाव: माँ दुर्गा की स्तुति से हम ईश्वरीय शक्ति से जुड़ते हैं और जीवन में सही दिशा पाते हैं।