विद्या पर छोटे संस्कृत श्लोक अर्थ सहित | Vidya Sanskrit Shlok

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विद्या वह अनमोल धन है जो हमें ज्ञान, समझ, विचार और समग्र व्यक्तित्व के विकास में मदद करती है। भारतीय संस्कृति में विद्या को महत्वपूर्ण माना गया है और इसके बारे में विभिन्न श्लोकों का पाठ किया गया है। इस लेख में हम प्रेरणादायक संस्कृत श्लोक जो की Vidya Sanskrit Shlok के बारे में चर्चा करेंगे और जो विद्या के महत्व पर ध्यान देते हैं।

संस्कृत श्लोक अर्थ सहित Hindi | Sanskrit Shlok With Meaning


छोटे संस्कृत श्लोक

#1

नास्ति विद्यासमो बन्धुर्नास्ति विद्यासमः सुहृत्।
नास्ति विद्यासमं वित्तं नास्ति विद्यासमं सुखम्॥

संस्कृत श्लोक का हिंदी में अर्थ: 

इस श्लोक में हमें यह समझाया गया है कि ज्ञान का कोई सानी नहीं है। विद्या हमें अनुशासन और ज्ञान की शक्ति देती है, जो धन और खुशी से भी अधिक महत्वपूर्ण है। यह श्लोक हमें यह भी सिखाता है कि हमें ज्ञान के महत्व को समझना चाहिए और उसे अपने जीवन में अपनाना चाहिए।


कर्म पर संस्कृत श्लोक

#2

विद्या नाम नरस्य रूपमधिकं प्रच्छन्नगुप्तं धनम्।
विद्या भोगकरी यशः सुखकरी विद्या गुरूणां गुरुः।
विद्या बन्धुजनो विदेशगमने विद्या परं दैवतम्।
विद्या राजसु पुज्यते न हि धनं विद्याविहीनः पशुः॥

संस्कृत श्लोक का हिंदी में अर्थ: 

इस श्लोक में हमें ज्ञान का महत्वपूर्ण स्वरूप बताया गया है। यहां कहा गया है कि ज्ञान ही मनुष्य का सबसे बड़ा धन और यश है, जो छिपा और गुप्त होता है। विद्या भोगों को प्रदान करती है, प्रसिद्धि दिलाती है और गुरुओं की गुरु है।

ज्ञान हमारे मित्रों की सहायता करता है, विदेश यात्राओं में हमारा मार्गदर्शन करता है और ज्ञान ही परम दिव्यता है। इसीलिए राजदरबार में ज्ञान पूजनीय है और ज्ञान रूपी पशु की तुलना में धन का कोई महत्व नहीं है।


छोटे संस्कृत श्लोक

#3

संयोजयति विद्यैव नीचगापि नरं सरित्।
समुद्रमिव दुर्धर्षं नृपं भाग्यमतः परम्।।

संस्कृत श्लोक का हिंदी में अर्थ: 

जिस प्रकार नीचे नदी में नाव में बैठे हुए व्यक्ति को अगम्य समुद्र में ले जाया जाता है, उसी प्रकार निम्न जाति में अर्जित ज्ञान भी उस व्यक्ति को राजा के पास ले जाता है; और राजा से मिलने के बाद उसकी किस्मत चमक जाती है।


छोटे संस्कृत श्लोक

#4

विद्या ददाति विनयं, विनयाद्याति पात्रताम्‌।
पात्रत्वाद्धानमाप्नोति धानाद्धर्मं ततः सुखम्‌॥

संस्कृत श्लोक का हिंदी में अर्थ: 

यह श्लोक बताता है कि विद्या न केवल ज्ञान प्रदान करती है, बल्कि यह हमें ज्ञान और योग्यता की प्राप्ति भी कराती है। नम्रता और योग्यता प्राप्त करके हम धार्मिकता प्राप्त करते हैं और इससे हमें खुशी मिलती है।


छोटे संस्कृत श्लोक

#5

आयुः कर्म च विद्या च वित्तं निधनमेव च।
पञ्चैतानि विलिख्यन्ते गर्भस्थस्यैव देहिनः॥

संस्कृत श्लोक का हिंदी में अर्थ: 

यह श्लोक हमें बताता है कि पांच चीजें हमारे जीवन से संबंधित हैं जैसे जीवन, कर्म, ज्ञान, धन और मृत्यु। उदाहरण के तौर पर हमें जीवन भर इसे अपने जीवन में स्वीकार करना चाहिए। इस संदर्भ में ज्ञान एक महत्वपूर्ण तत्व है जो हमें सही रास्ता दिखा सकता है और सफलता की ओर अग्रसर कर सकता है।


छोटे संस्कृत श्लोक

#6

माता शत्रुः पिता वैरी येन बालो न पाठितः।
न शोभते सभामध्ये हंसमध्ये बको यथा।।

संस्कृत श्लोक का हिंदी में अर्थ: 

जो अपने बच्चे को शिक्षा नहीं देता उसकी माँ शत्रु के समान है और पिता पूर्ण शत्रु है; क्योंकि हंसों के बीच बगुला जैसा व्यक्ति बौद्ध धर्म की सभा में शोभा नहीं देता!


छोटे संस्कृत श्लोक

#7

विद्याभ्यास स्तपो ज्ञानमिन्द्रियाणां च संयमः।
अहिंसा गुरुसेवा च निःश्रेयसकरं परम्॥

संस्कृत श्लोक का हिंदी में अर्थ: 

यह श्लोक हमें ज्ञान के गुणों के बारे में बताता है। इसमें ज्ञान, तप, ज्ञान और इंद्रियों पर नियंत्रण का महत्व बताया गया है। इन गुणों के माध्यम से हम ज्ञान प्राप्त कर सकते हैं। इसके अलावा अहिंसा और गुरु सेवा ही सर्वोत्तम कार्य है, जो हमें सही मार्ग दिखाता है और मोक्ष की प्राप्ति कराता है।


छोटे संस्कृत श्लोक

#8

ज्ञातिभि र्वण्टयते नैव चोरेणापि न नीयते।
दाने नैव क्षयं याति विद्यारत्नं महाधनम्।।

संस्कृत श्लोक का हिंदी में अर्थ: 

ज्ञान रूपी रत्न एक महान धन है, जिसे कोई विद्वान नष्ट नहीं कर सकता, जिसे कोई चोर नहीं ले जा सकता और जिसका धन नष्ट नहीं हो सकता।


विद्या श्लोक जप के लाभ

1. बुद्धि की स्थिरता: विद्या श्लोकों का जाप करने से बुद्धि में स्थिरता आती है। ये श्लोक आपकी विचार शक्ति को स्थापित करने और सही निर्णय लेने में मदद करते हैं।

2. ध्यान और बुद्धि का विकास: श्लोकों का जाप करने से ध्यान और बुद्धि में वृद्धि होती है। ये छंद आपके पोर्टफोलियो को विकसित करते हैं और आपको आत्मविश्वास हासिल करने में मदद करते हैं।

3. पूर्णता की प्राप्ति: विद्या श्लोकों का जाप आपके जीवन को पूर्णता की ओर ले जाता है। यह श्लोक आपको धार्मिक और मानवतावादी महत्वपूर्ण विद्वानों को समझने में मदद करता है और आपकी उन्नति की ओर ले जाता है।

विद्या क्या है? 

विद्या शब्द संस्कृत भाषा से लिया गया है जो ज्ञान का प्रतीक है। विद्या जीवन में ज्ञान प्राप्त करने की प्रक्रिया को इंगित करती है। इससे न केवल हमारी सोच विकसित होती है बल्कि हमें मनोवैज्ञानिक और आध्यात्मिक स्तर हासिल करने में भी मदद मिलती है। ज्ञान की प्राप्ति हमें समझ, अनुभव, विवेक, विचारशीलता और निर्णय लेने की क्षमता प्रदान करती है।

विद्या कितने प्रकार की होती है?  

हिंदू धर्मग्रंथों में परा और अपरा लौकिक ज्ञान को दो प्रभागों के रूप में प्रस्तुत किया गया है, जिसमें लौकिक और पारलौकिक ज्ञान भी शामिल है।

14 परा विद्याएं:

  1. शिक्षा: शिक्षा के सैद्धांतिक सिद्धांत ज्ञान और शिक्षा के विकास के लिए समर्पित हैं।
  2. कल्प: यज्ञ और धार्मिक कार्यों के संकल्प को संकल्पित और सुरक्षित रखने के लिए कल्प है।
  3. व्याकरण: व्याकरण, भाषा संरचना और वाक्य निर्माण के अध्ययन पर ध्यान केंद्रित करता है।
  4. निरुक्त: निरुक्त वैदिक शब्दों के अर्थों की व्याख्या करने और शब्दार्थ निर्माण का एक प्रयास है।
  5. छंद: छंदशास्त्र श्लोक, छंदसाम्राज्य और काव्य-गीत में छंदों का अध्ययन किया जाता है।
  6. नक्षत्र: ज्योतिष कुंडली, नक्षत्र और तारामंडल के अध्ययन के लिए समर्पित है।
  7. वास्तु शास्त्र: वास्तु शास्त्र मस्जिदों, घरों, मंदिरों के निर्माण और वास्तुकला का अध्ययन है।
  8. आयुर्वेद: आयुर्वेद स्वास्थ्य, प्रतिरक्षा, औषधि चिकित्सा और जीवन की गुणवत्ता निर्धारित करता है।
  9. वेद: वेद सबसे पुराने हिंदू धर्मग्रंथ हैं और इनमें धार्मिक मंत्र, यज्ञ की विधियां, ज्ञान और आचार्यों की शिक्षाएं शामिल हैं।
  10. अनुष्ठान: अनुष्ठान यज्ञ, पूजा, होम, उपवास और धार्मिक अनुष्ठानों पर केंद्रित हैं।
  11. ज्योतिष शास्त्र: ज्योतिष, रत्न, नक्षत्र और ज्योतिषीय क्षमताओं का अध्ययन किया जाता है।
  12. सामुद्रिक शास्त्र: सामुद्रिक शास्त्र हस्त रेखाओं, मुख रेखाओं, नक्षत्र रेखाओं और शरीर के रहस्यों का अध्ययन करता है।
  13. हस्तरेखा विज्ञान: हस्तरेखा विज्ञान रसायन विज्ञान और मानचित्रों के माध्यम से भविष्यवाणियों का अध्ययन करता है।
  14. तीरंदाजी: तीरंदाजी और हथियार की तकनीक, प्रौद्योगिकी और युद्धकालीन ज्ञान पर केंद्रित है।

ये सभी पराविद्याएँ हिन्दू धर्म में महत्वपूर्ण हैं तथा ज्ञान, धर्म, आर्थिक एवं सामाजिक दृष्टि से मान्य हैं। 

निष्कर्ष

संस्कृत में विद्या पर ये श्लोक हमें विद्या के महत्व और उसके गुणों के बारे में सिखाते हैं। विद्या हमारे जीवन में महत्वपूर्ण है और हमें सही रास्ता दिखा सकती है। इसलिए हमें शिक्षा को महत्वपूर्ण बनाकर अपने जीवन में अपनाना चाहिए।

विद्या हमें सच्ची शिक्षाओं, निर्देशों और सफलता की ओर ले जाती है। यह हमारे समाज और राष्ट्र के विकास के लिए महत्वपूर्ण है।