सर्प सूक्त पाठ | Sarpa Suktam Path | कालसर्प दोष के लक्षण

जिस व्यक्ति की कुंडली में काल सर्प योग होता है उसका जीवन अत्यंत कष्टकारी होता है। इस योग से पीड़ित व्यक्ति मन में घुटन महसूस करता रहता है।

उनका जीवन हताशा से भर गया है. उसे जीवन में कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। ऐसे व्यक्ति को श्री सर्प सूक्त का पाठ करना चाहिए।

 काल सर्प योग से छुटकारा पाने के लिए किसी भी सोमवार से लेकर 27 दिनों तक प्रतिदिन सर्प सूक्त का पाठ करना चाहिए, जिससे सभी प्रकार के काल सर्प दोषों का दुष्प्रभाव नष्ट हो जाता है। यदि प्रतिदिन संभव न हो तो श्रावण मास की 12वीं नाग पंचमी को।

सर्प सूक्त का पाठ करते समय यदि मिट्टी के बर्तन में सांप के लिए दूध रखा जाए तो सभी प्रकार के कालसर्प दोष, दरिद्रता, अभाव, चोरी आदि दोष दूर हो जाते हैं।

सर्प सूक्त पाठ | Sarpa Suktam Path 


ब्रह्मलोकेषु ये सर्पा शेषनाग परोगमा: । 1

नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीतो मम सर्वदा

इन्द्रलोकेषु ये सर्पा: वासु‍कि प्रमुखाद्य: ।

नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीतो मम सर्वदा

कद्रवेयश्च ये सर्पा: मातृभक्ति परायणा । 2

नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीतो मम सर्वदा ।।

इन्द्रलोकेषु ये सर्पा: तक्षका प्रमुखाद्य ।

नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीतो मम सर्वदा ।।

सत्यलोकेषु ये सर्पा: वासुकिना च रक्षिता । 3

नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीतो मम सर्वदा ।।

मलये चैव ये सर्पा: कर्कोटक प्रमुखाद्य ।

नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीतो मम सर्वदा ।।

पृथिव्यां चैव ये सर्पा: ये साकेत वासिता । 4

नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीतो मम सर्वदा ।।

सर्वग्रामेषु ये सर्पा: वसंतिषु संच्छिता ।

नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीतो मम सर्वदा ।।

ग्रामे वा यदि वारण्ये ये सर्पप्रचरन्ति । 5

नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीतो मम सर्वदा ।।

समुद्रतीरे ये सर्पाये सर्पा जंलवासिन: ।

नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीतो मम सर्वदा ।।

रसातलेषु ये सर्पा: अनन्तादि महाबला: । 6

नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीतो मम सर्वदा ।।

।। इति श्री सर्प सूक्त पाठ समाप्त ।।

सर्प सूक्तम् स्तोत्र | Shree Sarpa Suktam With Lyrics | Removing Kaal Sarp Dosh

कल सर्प दोष क्या है ?

काल सर्प दोष हिंदू ज्योतिष में एक अवधारणा है जिसके बारे में कहा जाता है कि इसका व्यक्ति के जीवन पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार, काल सर्प दोष तब होता है जब जन्म कुंडली में सभी ग्रह छाया ग्रह राहु और केतु के बीच आ जाते हैं। यह संरेखण प्रतिकूल माना जाता है और माना जाता है कि यह व्यक्ति के जीवन में विभिन्न चुनौतियाँ और बाधाएँ लाता है।

कालसर्प दोष के लक्षण


  • सपने में खुद को सांप द्वारा काटा हुआ देखना
  • जीवन में असफलताएँ देखना 
  • सपने में मरे हुए लोगों की तस्वीरें देखना,
  • काम ख़राब हो रहा है
  • समाज में सम्मान की कमी
  • घर से निकल रहा सांप
  • शादी में देरी होना 
  • सपने में ऊंचाई से गिरना
  • हवा में उड़ना
  • कड़ी मेहनत के बावजूद प्रगति नहीं हो रही है
  • परिवार के सदस्यों के बीच झगड़े होते हैं और उन्हें बार-बार धोखा मिलता है।
  • वैवाहिक तनाव या तलाक
  • जीवन में बहुमूल्य समय की बर्बादी, जिसके कारण आप प्रगति आदि में अपने मित्रों से पिछड़ जाते हैं।
  • मन में हमेशा कोई न कोई अज्ञात भय बना रहना

कैसे पता करे की कुंडली में कल सर्प दोष लगा हुआ है ?

यदि आपके सभी ग्रह राहु और केतु के बीच हैं तो आपको कालसर्प दोष है। काल श्राप दोष की अनोखी बात यह है कि यह समय के साथ कम होता जाता है। कालसर्प दोष 30-35 वर्ष की आयु तक अपना प्रभाव देता है।

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किसी कुंडली में काल सर्प दोष की जांच करने के लिए राहु और केतु की स्थिति के साथ-साथ अन्य ग्रहों की स्थिति का सावधानीपूर्वक विश्लेषण करना आवश्यक है। कुंडली में काल सर्प दोष की पहचान कैसे करें, इसके बारे में चरण-दर-चरण मार्गदर्शिका यहां दी गई है:

  • राहु और केतु को समझना: राहु और केतु वैदिक ज्योतिष में छाया ग्रह हैं, जिन्हें क्रमशः उत्तर और दक्षिण चंद्र नोड्स के रूप में भी जाना जाता है। ये अशुभ माने जाते हैं और व्यक्ति के जीवन पर गहरा प्रभाव डालते हैं।
  • राहु और केतु की पहचान: पहला कदम जन्म कुंडली में राहु और केतु की स्थिति की पहचान करना है। राहु का प्रतिनिधित्व साँप के सिर से होता है जबकि केतु का प्रतिनिधित्व साँप की पूँछ से होता है।
  • धुरी का अवलोकन: काल सर्प दोष तब होता है जब कुंडली में सभी ग्रह एक धुरी बनाते हैं और राहु और केतु के बीच स्थित होते हैं। इससे संरेखण दोष या अशुभ प्रभाव उत्पन्न होता है।
  • गति की दिशा: काल सर्प दोष की उपस्थिति का निर्धारण करने में राहु और केतु की गति की दिशा महत्वपूर्ण है। यदि राहु केतु की ओर बढ़ रहा है तो इसे “सर्प दोष” कहा जाता है। यदि केतु राहु की ओर बढ़ रहा हो तो इसे “काल सर्प दोष” कहा जाता है।
  • काल सर्प दोष के प्रकार: राहु और केतु की स्थिति और कुंडली में ग्रहों की स्थिति के आधार पर काल सर्प दोष के विभिन्न प्रकार होते हैं। कुछ सामान्य प्रकारों में अनंत काल सर्प दोष, कुलिक काल सर्प दोष, वासुकि काल सर्प दोष आदि शामिल हैं।
  • दोष की गंभीरता: काल सर्प दोष की गंभीरता राहु और केतु की विशिष्ट स्थिति के साथ-साथ कुंडली में अन्य ग्रहों की शक्ति और स्थिति के आधार पर भिन्न होती है।
  • काल सर्प दोष का प्रभाव: ऐसा माना जाता है कि काल सर्प दोष व्यक्ति के जीवन में विभिन्न चुनौतियाँ और बाधाएँ ला सकता है, जिसमें वित्तीय समस्याएँ, स्वास्थ्य समस्याएँ, पारिवारिक विवाद और करियर में असफलताएँ शामिल हैं। हालाँकि, इसका प्रभाव प्रत्येक व्यक्ति की कुंडली के आधार पर भिन्न-भिन्न हो सकता है।
  • काल सर्प दोष के उपाय: काल सर्प दोष के प्रभाव को कम करने के लिए वैदिक ज्योतिष में कई उपाय सुझाए गए हैं। इनमें विशिष्ट पूजा करना, मंत्र जाप करना, रत्न पहनना और काल सर्प दोष निवारण पूजा जैसे अनुष्ठान शामिल हैं।

यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि जहां कुछ लोग काल सर्प दोष की अवधारणा और इसके प्रभावों पर दृढ़ता से विश्वास करते हैं, वहीं अन्य इसे व्यक्तिगत विश्वास और व्याख्या के विषय के रूप में देख सकते हैं। दोषों की अवधारणा सहित ज्योतिष, सांस्कृतिक और धार्मिक मान्यताओं में गहराई से निहित है और इसे सार्वभौमिक रूप से स्वीकार या समझा नहीं जा सकता है।

कालसर्प दोष निवारण हेतु उपाय


  • काल सर्प दोष से पीड़ित व्यक्ति को प्रतिदिन भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए, इससे सभी कार्य आसान हो जाएंगे।
  • काल सर्प दोष से पीड़ित विद्यार्थियों को एक वर्ष तक प्रतिदिन मां सरस्वती के बीज मंत्र का जाप करना चाहिए।
  • किसी भी शुभ मुहूर्त में बहते जल में तीन बार कोयला प्रवाहित करना चाहिए।
  • प्रतिदिन 108 एक सौ आठ बार हनुमान चालीसा का जाप करना चाहिए।
  • महामृत्युंजय मंत्र का जाप प्रतिदिन 108 बार रुद्राक्ष की माला से करना चाहिए। ऐसा करने से अनंत कालसर्प दोष शांत हो जाता है।
  • घर में मोर पंख रखने से काल सर्प दोष का अधिक प्रभाव नहीं पड़ता है।
  • काल सर्प दोष से पीड़ित व्यक्ति को सवा महीने तक जौ के दाने पक्षियों को खिलाना चाहिए और इसके साथ ही हर शनिवार को चींटियों के बिल में मीठा सत्तू डालना चाहिए।
  • सोमवार के दिन शिवलिंग की पूजा करने के बाद उन शिवलिंगों पर धातु का नाग चढ़ाना चाहिए जिन पर धातु के नाग न हों। ऐसा करने से काल सर्प दोष का प्रभाव बहुत कम हो जाता है।
  • प्रत्येक शनिवार को नवग्रहों के राजा शनि की विशेष पूजा करनी चाहिए और शनि के मंत्र का जाप करना चाहिए और साथ ही तेल से चुपड़ी हुई रोटी काले कुत्ते को खिलानी चाहिए।
  • काल सर्प दोष निवारण यंत्र को किसी भी शुभ समय पर घर में स्थापित करना चाहिए और प्रतिदिन इसकी पूजा करनी चाहिए, काल सर्प दोष को दूर करने के लिए यह बहुत ही प्रभावी उपाय है।
  • नाग पंचमी के दिन पूजा आदि करने के बाद किसी सपेरे से सांप को जंगल से मुक्त करवा लें, ऐसा करने से भी काल सर्प दोष का प्रभाव कम हो जाता है।

निष्कर्ष के तौर पर,

कुंडली में काल सर्प दोष की जांच में राहु, केतु और अन्य ग्रहों की स्थिति का गहन विश्लेषण शामिल है। इस दोष के निहितार्थ को समझने और उपचार की खोज करने से उन व्यक्तियों को अंतर्दृष्टि और मार्गदर्शन मिल सकता है जो अपने जीवन में चुनौतियों का समाधान करना चाहते हैं।


FAQ

1. सर्प सूक्तम क्या है?

सर्प सूक्तम ऋग्वेद का एक सूक्त (भजन) है जो नाग देवता की स्तुति करता है। यह सूक्त ऋग्वेद के द्वितीय मंडल में 17वें सूक्त के रूप में आता है। इसमें 15 मंत्र हैं जो नाग देवता की शक्ति, महिमा और कृपा का वर्णन करते हैं।

2. सर्प सूक्तम का पाठ क्यों किया जाता है?

सर्प सूक्तम का पाठ कई कारणों से किया जाता है:

  • नाग देवता की कृपा प्राप्त करने के लिए।
  • भय और चिंता से मुक्ति पाने के लिए।
  • स्वास्थ्य और रोगों से मुक्ति पाने के लिए।
  • सर्पदंश से बचाव के लिए।
  • सफलता और समृद्धि प्राप्त करने के लिए।
  • मोक्ष प्राप्ति के लिए।

3. सर्प सूक्तम का पाठ कैसे करें?

सर्प सूक्तम का पाठ करने के लिए आप इन चरणों का पालन कर सकते हैं:

  • स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें।
  • एक शांत और पवित्र स्थान पर बैठें।
  • नाग देवता की मूर्ति या चित्र के सामने बैठें।
  • सर्प सूक्तम के मंत्रों का उच्चारण करें।
  • प्रत्येक मंत्र का उच्चारण करते समय नाग देवता का ध्यान करें।
  • आप अपनी इच्छानुसार 1, 3, 5, 11, 21, या 108 बार सर्प सूक्तम का पाठ कर सकते हैं।

4. सर्प सूक्तम का पाठ करते समय क्या ध्यान रखना चाहिए?

  • मंत्रों का उच्चारण शुद्ध मन और भक्ति भाव से करें।
  • मंत्रों का उच्चारण करते समय किसी भी प्रकार का व्यवधान न आने दें।
  • मंत्रों का उच्चारण नियमित रूप से करें।
  • मंत्रों का उच्चारण करते समय आसन की रीढ़ सीधी रखें।
  • मंत्रों का उच्चारण करते समय अपनी आँखें बंद रखें।

5. सर्प सूक्तम का पाठ करने से क्या लाभ मिलते हैं?

  • नाग देवता की कृपा प्राप्त होती है।
  • भय और चिंता से मुक्ति मिलती है।
  • स्वास्थ्य और रोगों से मुक्ति मिलती है।
  • सर्पदंश से बचाव होता है।
  • सफलता और समृद्धि प्राप्त होती है।
  • मोक्ष प्राप्ति की संभावना बढ़ती है।

6. क्या सर्प सूक्तम का पाठ करने के लिए कोई विशेष नियम है?

सर्प सूक्तम का पाठ करने के लिए कोई विशेष नियम नहीं है। आप अपनी सुविधानुसार किसी भी समय और स्थान पर सर्प सूक्तम का पाठ कर सकते हैं। हालांकि, कुछ लोग मानते हैं कि रविवार, सोमवार और बुधवार को सर्प सूक्तम का पाठ करना अधिक फलदायी होता है।

7. क्या सर्प सूक्तम का पाठ करते समय माला का उपयोग करना आवश्यक है?

माला का उपयोग करके सर्प सूक्तम का पाठ करना शुभ माना जाता है, लेकिन यह आवश्यक नहीं है। आप अपनी उंगलियों का उपयोग करके भी सर्प सूक्तम का पाठ कर सकते हैं।

8. क्या सर्प सूक्तम का पाठ करते समय किसी विशेष वस्त्र पहनना आवश्यक है?

सर्प सूक्तम का पाठ करते समय किसी विशेष वस्त्र पहनने की आवश्यकता नहीं है। आप अपनी सुविधानुसार कोई भी स्वच्छ वस्त्र पहनकर सर्प सूक्तम का पाठ कर सकते हैं।

9. क्या सर्प सूक्तम का पाठ करते समय किसी विशेष मूर्ति या चित्र की आवश्यकता होती है?

सर्प सूक्तम का पाठ करते समय नाग देवता की मूर्ति होना जरूरी नहीं है। आप चाहें तो पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठ सकते हैं।

11. सर्प सूक्तम का पाठ करने से पहले क्या करना चाहिए?

सर्प सूक्तम का पाठ करने से पहले आप ये कर सकते हैं:

  • थोड़ा सा अध्ययन करें और सर्प सूक्तम के मंत्रों का अर्थ समझने की कोशिश करें। इससे आपको पाठ करते समय अधिक जुड़ाव महसूस होगा।
  • आप भगवान शिव की पूजा भी कर सकते हैं, क्योंकि उन्हें नागों का देवता माना जाता है।

12. क्या सर्पदंश से बचने के लिए सिर्फ सर्प सूक्तम का पाठ ही काफी है?

सर्प सूक्तम का पाठ नाग देवता की कृपा प्राप्त करने का एक तरीका जरूर है, लेकिन यह सर्पदंश से बचाव का एकमात्र उपाय नहीं है। सांसारिक सावधानी भी बहुत जरूरी है।

  • जंगली इलाकों में सावधानी से चलें, जूतों का इस्तेमाल करें और झाड़ियों में हाथ ना डालें।
  • घर के आसपास सफाई रखें और छेदों को बंद कर दें।

13. सर्प सूक्तम का पाठ करने से कोई नुकसान भी हो सकता है?

सामान्य तौर पर सर्प सूक्तम का पाठ करने से कोई नुकसान नहीं होता। यह एक भक्तिमय पाठ है।

14. क्या ऑनलाइन उपलब्ध सर्प सूक्तम का पाठ किया जा सकता है?

जी हां, आप ऑनलाइन उपलब्ध सर्प सूक्तम का पाठ कर सकते हैं। हालांकि, यदि आप स्वयं मंत्रों का उच्चारण करें तो ज्यादा अच्छा होगा।

15. सर्प सूक्तम का पाठ करने के अलावा नाग देवता को प्रसन्न करने के अन्य तरीके कौन से हैं?

नाग देवता को प्रसन्न करने के अन्य तरीके हैं:

  • दूध और शहद का मिश्रण (खीर) चढ़ाएं।
  • शिवलिंग पर जलाभिषेक करें।
  • सफेद या पीले फूल चढ़ाएं।
  • गरीबों और जरूरतमंदों की मदद करें।
  • हिंसा और क्रोध से बचें।

16. क्या वैज्ञानिक रूप से सर्प सूक्तम के प्रभाव का प्रमाण है?

अभी तक वैज्ञानिक रूप से सर्प सूक्तम के प्रभाव का कोई प्रमाण नहीं मिला है। लेकिन, आस्था और सकारात्मक सोच का मन पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है, जो किसी व्यक्ति के स्वास्थ्य और जीवनशैली को भी प्रभावित कर सकता है।

17. सर्प सूक्तम बच्चों के लिए भी लाभदायक है क्या?

सर्प सूक्तम बच्चों के लिए भी लाभदायक हो सकता है। इससे उन्हें भारतीय संस्कृति और परंपरा के बारे में जानकारी मिलती है। साथ ही, उन्हें सकारात्मक सोच और ईश्वर भक्ति का पाठ भी मिलता है।

18. क्या सर्प सूक्तम का पाठ करने के लिए कोई विशेष उम्र या लिंग जरूरी है?

सर्प सूक्तम का पाठ करने के लिए कोई विशेष उम्र या लिंग जरूरी नहीं है। कोई भी व्यक्ति श्रद्धा भाव से इसका पाठ कर सकता है।

19. कौन-से लोग सर्प सूक्तम का पाठ नहीं करना चाहिए?

सामान्य तौर पर कोई भी व्यक्ति सर्प सूक्तम का पाठ कर सकता है। लेकिन, अगर किसी को मंत्रों के उच्चारण में बहुत कठिनाई हो रही है या वे मन लगाकर पाठ नहीं कर पा रहे हैं, तो ऐसी स्थिति में किसी जानकार व्यक्ति से मार्गदर्शन लेना बेहतर होगा।

20. सर्प सूक्तम के बारे में और अधिक जानकारी कहां से प्राप्त कर सकते हैं?

सर्प सूक्तम के बारे में और अधिक जानकारी आप इन तरीकों से प्राप्त कर सकते हैं:

  • पुस्तकालय जाकर धार्मिक ग्रंथों को पढ़ें।
  • वेद पाठ करने वाले विद्वानों से सलाह लें।
  • विश्वसनीय वेबसाइटों से विश्वसनीय वेबसाइटों से जानकारी प्राप्त करें।

हालांकि, ऑनलाइन जानकारी को परखने में सावधानी बरतें, क्योंकि हर वेबसाइट सही सूचना नहीं देती। अच्छी बात ये है कि आजकल कई वेद पाठ करने वाले विद्वान YouTube चैनल चलाते हैं, जहां वे मंत्रों का उच्चारण सिखाते हैं और उनके अर्थ भी समझाते हैं। आप ऐसे चैनलों की मदद भी ले सकते हैं।