श्री स्वामी समर्थ (Shree Swami Samarth), जिन्हें स्वामी समर्थ महाराज के नाम से भी जाना जाता है, एक श्रद्धेय भारतीय संत और आध्यात्मिक गुरु थे। और यही थे जिस ने प्रसिद Swami Samarth Tarak Mantra की भी रचना की। उन्हें हिंदू देवता भगवान दत्तात्रेय का अवतार माना जाता है, जो तीन देवताओं ब्रह्मा, विष्णु और शिव का संयोजन हैं।
स्वामी समर्थ 18वीं शताब्दी के दौरान रहते थे और अपनी शिक्षाओं, चमत्कारों और गहन आध्यात्मिक मार्गदर्शन के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने अपनी शिक्षाओं और आशीर्वादों का प्रसार करते हुए भारत के विभिन्न क्षेत्रों की यात्रा की। उनका प्राथमिक संदेश ईश्वर की भक्ति, आत्म-साक्षात्कार और आध्यात्मिक ज्ञान के मार्ग के महत्व के इर्द-गिर्द घूमता था।
श्री स्वामी समर्थ के भक्तों का मानना है कि उनके पास दैवीय शक्तियां थीं और उन्होंने अपने जीवनकाल में कई चमत्कार किये। उनकी शिक्षाओं में धार्मिक और नैतिक जीवन जीने, आत्म-अनुशासन का अभ्यास करने और ईश्वर में अटूट विश्वास बनाए रखने के महत्व पर जोर दिया गया।
भले ही स्वामी समर्थ महाराज ने सदियों पहले अपना भौतिक रूप छोड़ दिया था, उनकी शिक्षाएँ और आध्यात्मिक उपस्थिति लोगों को उनकी आध्यात्मिक यात्राओं के लिए प्रेरित और मार्गदर्शन करती रहती है।
भारत और उसके बाहर अनगिनत लोगों द्वारा उनका सम्मान किया जाता है और उनकी विरासत मंदिरों, आश्रमों और उनके अनुयायियों की भक्ति के माध्यम से जीवित है। तो आये जानते है Swami Samarth 108 Names कौन से है।
मराठी में स्वामी समर्थ के 108 नाम | Swami Samarth Names
- ॐ दिगम्बराय नमः।
- ॐ वीरयज्ञम्बराय नमः।
- ॐ दयनाम्बराय नमः।
- ॐ स्वानन्दम्बराय नमः।
- ॐ अतिदिव्यतेजम्बाराय नमः।
- ॐ काव्यशक्तिप्रदायेन नमः।
- ॐ अमृतमंत्रदायिने नमः
- ॐ दिव्यज्ञानदत्ताय नमः
- ॐ दिव्य चक्षुदायिने नमः
- ॐ चित्ताकर्षणाय नमः
- ॐ चित्तप्रशान्ताय नमः
- ॐ दिव्यानुसंधानप्रदायिने नमः
- ॐ सद्गुणविवर्धनाय नमः
- ॐ अष्टसिद्धिदायकाय नमः
- ॐ भक्तिविराग्यदत्ताय नमः
- ॐ भक्ति-मुक्ति-शक्ति प्रदायिने नमः
- ॐ आत्मविद्याप्रेरकाय नमः
- ॐ अमृतानन्ददत्ताय नमः
- ॐ गर्वधानाय नमः
- ॐ शाद्रिपुहृताय नमः
- ॐ भक्तसौररक्षकाय नमः
- ॐ अन्नत्कोटिब्रह्माण्डप्रमुखाय नमः
- ॐ चैतन्य तेजसे नमः
- ॐ श्री समर्थयताये नमः
- ॐ आजानुबाहवे नमः
- ॐ अदगुरुवेनमः
- ॐ श्रीपादश्रीवल्लभाय नमः
- ॐ नृसिंहभानुसरसस्वयै नमः
- ॐ अवधूतदत्तत्रय नमः
- ॐ चंचलेश्वराय नमः
- ॐ कुरुविपूर्वसिने नमः
- ॐ गंधर्व पूर्वसिने नमः
- ॐ गिरनर्वासिने नमः
- ॐ श्री शैल्यनिवासिने नमः
- ॐ ओंकारवासिने नमः
- ॐ आत्मसुताय नमः
- ॐ प्रखर-तेजः-प्रवर्तिने नमः
- ॐ अमोघटेजानन्दाय नमः
- ॐ दैदिप्प्यतेजोधराय नमः
- ॐ परमसिद्ध योगेश्वराय नमः
- ॐ कृष्णानन्द-अतिप्रियाय नमः
- ॐ योगिराजराजेश्वराय नमः
- ॐ आकारंकरुण्यमूर्तये नमः
- ॐ चिरंजीव चैत्यनाय नमः
- ॐ स्वनानकन्द स्वामिने नमः
- ॐ स्मत्रुगामिने नमः
- ॐ नित्यचिदानन्दाय नमः
- ॐ भक्तिचिंतमनिश्वराय नमः
- ॐ अचिन्त्यनिरंजनाय नमः
- ॐ दयानिधाय नमः
- ॐ भक्तहृदयानरेशाय नमः
- ॐ शारंगटकवचै नमः
- ॐ वेदफुर्तदायिने नमः
- ॐ महामंत्रराजाय नमः
- ॐ अनाहत्नादप्रदाय नमः
- ॐ सुकोमलपदम्बुजाय नमः
- ॐ चित्-शक्तित्त्मने नमः
- ॐ अतिष्टिराय नमः
- ॐ मध्यानमः-भिक्षाप्रिय नमः
- ॐ प्रमभिक्षायमकितय
- ॐ योगक्षेमवहिने नमः
- ॐ भक्तकल्पवृक्षाय नमः
- ॐ अनन्तशक्तिसूत्रधाराय नमः
- ॐ परब्रह्माय नमः
- ॐ अतितृप्तपरमतृप्तायै नमः
- ॐ स्वावलम्बनसूत्रदात्रे नमः
- ॐ बल्यभवप्रियाय नमः
- ॐ भक्तिनिधानाय नमः
- ॐ असमर्थ-शक्तिशाली नमः
- ॐ योगसिद्धिदायकाय नमः
- ॐ औदम्बरप्रियस्य नमः
- ॐ वज्रसुकोमलतनुधारकाय नमः
- ॐ त्रिमूर्ति ध्वजाधारकाय नमः
- ॐ चिदाकाश्व्यपत्यै नमः
- ॐ केशचंदनकस्तूरीसुगन्धप्रिय नमः
- ॐ साधकसंजीवनै नमः
- ॐ कुण्डलिनी स्फूर्तिदात्रे नमः
- ॐ अलक्ष्यरक्षाय नमः
- ॐ आनंदवर्धनाय नमः
- ॐ सुखनिधानाय नमः
- ॐ उपमते नमः
- ॐ भक्तिसंगीतप्रियाय नमः
- ॐ आकारसिद्धिकृपाकाराय नमः
- ॐ भवभायभाजनाय नमः
- ॐ स्मितहस्यानन्दनाय नमः
- ॐ संकल्पसिद्धाय नमः
- ॐ संकल्पसिसिदात्रे नमः
- ॐ सर्वबन्धनमोक्षाय नमः
- ॐ द्यानतिताद्यानिभास्कराय नमः
- ॐ श्रीकीर्तिनामन्त्रभ्यां नमः
- ॐ अभयवरदायिने नमः
- ॐ गुरुलीला अमृतधाराय नमः
- ॐ गुरुलीला अमृतधाराय नमः
- ॐ वाज्यसुकोमलहृदयधारिणे नमः
- ॐ सविकल्पतेनिर्विकल्प सहजसमाधिभ्यं नमः
- ॐ निर्विकल्पित सहजसमाधिभ्यं नमः
- ॐ त्रिकालतित्रिकाल्द्यनिने नमः
- ॐ भवतित्भव समाधिभ्यां नमः
- ॐ भ्रामतेत-अनुरेणुव्यापकाय नमः
- ॐ त्रिगुणातीतसगुणसस्कारसुलक्षणाय नमः
- ॐ बंधनतीतभक्तिकिरणबंधनाय नमः
- ॐ देहातीतसादेह-दर्शपकाय नमः
- ॐ चिन्तनातीतप्रेमचिन्तनप्रकाशनाय नमः
- ॐ मौनातीत – उन्मनिभवप्रियाय नमः
- ॐ बुद्धितितासद्बुद्धिप्रेरकाय नमः
- ॐ मत्प्रिय पितामहसद्गुरुभ्यां नमः
- ॐ पवित्रराम-तत्यसभेचरणारविन्द्याभ्यां नमः
- ॐ अक्कलकोतस्वामी समर्थाय नमः
ये नाम Shri Swami Samarth Tarak Mantra की दिव्य प्रकृति के विभिन्न पहलुओं और उनके भक्तों के लिए आध्यात्मिक मार्गदर्शक और प्रेरणा स्रोत के रूप में उनकी भूमिका को दर्शाते हैं।
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Tarak Mantra Lyrics In Image
FAQ
1. क्या तारक मंत्र का जाप करते समय कोई विशेष मंत्राक्षर भी है?
हाँ, तारक मंत्र का एक विशेष मंत्राक्षर भी है।
यह मंत्राक्षर “ॐ” है।
तारक मंत्र का जाप करते समय मंत्र के शुरुआत और अंत में “ॐ” का उच्चारण करना चाहिए।
2. क्या तारक मंत्र का जाप करते समय किसी विशेष मुद्रा में बैठना आवश्यक है?
तारक मंत्र का जाप करते समय किसी विशेष मुद्रा में बैठना आवश्यक नहीं है।
आप अपनी सुविधानुसार किसी भी मुद्रा में बैठकर मंत्र का जाप कर सकते हैं।
हालांकि, ध्यान मुद्रा (पद्मासन) में बैठकर मंत्र का जाप करना अधिक फलदायी माना जाता है।
3. क्या तारक मंत्र का जाप करते समय किसी विशेष माला का उपयोग करना चाहिए?
तारक मंत्र का जाप करते समय किसी विशेष माला का उपयोग करना आवश्यक नहीं है।
आप अपनी सुविधानुसार किसी भी माला का उपयोग कर सकते हैं।
हालांकि, रुद्राक्ष माला या क्रिस्टल माला का उपयोग करना अधिक शुभ माना जाता है।
4. क्या तारक मंत्र का जाप करते समय किसी विशेष वस्त्र पहनना चाहिए?
तारक मंत्र का जाप करते समय किसी विशेष वस्त्र पहनने की आवश्यकता नहीं है।
आप अपनी सुविधानुसार कोई भी स्वच्छ वस्त्र पहनकर मंत्र का जाप कर सकते हैं।
हालांकि, सफेद या पीले रंग के वस्त्र पहनना अधिक शुभ माना जाता है।
5. क्या तारक मंत्र का जाप करते समय किसी विशेष दिशा का सामना करना चाहिए?
तारक मंत्र का जाप करते समय किसी विशेष दिशा का सामना करने की आवश्यकता नहीं है।
आप अपनी सुविधानुसार किसी भी दिशा का सामना करके मंत्र का जाप कर सकते हैं।
हालांकि, पूर्व या उत्तर दिशा का सामना करना अधिक शुभ माना जाता है।
6. क्या स्वामी समर्थ 108 नामावली का जाप करने के लिए कोई विशेष नियम है?
स्वामी समर्थ 108 नामावली का जाप करने के लिए कोई विशेष नियम नहीं है। आप अपनी सुविधानुसार किसी भी समय और स्थान पर नामावली का जाप कर सकते हैं। हालांकि, कुछ लोग मानते हैं कि सोमवार, गुरुवार और शनिवार को नामावली का जाप करना अधिक फलदायी होता है।