Sanskrit Shlok | छोटे संस्कृत श्लोक one line | Guru Shlok

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  • Post last modified:15 February 2025

यदि आप छोटे संस्कृत श्लोक ओने लाइन के ढूंढ रहे है तो आप सही जगह आये है हमने यहाँ पर कुछ छोटे संस्कृत श्लोक अर्थ सहित दिए हुए है। 

जिसको आप पढ़ सकते है, यह सरे  छोटे संस्कृत श्लोक easy तरह से लिखे गए है जिनक समझना बहुत आसान है। 

छोटे संस्कृत श्लोक one line 


संतोषवत् न किमपि सुखम् अस्ति ॥ 

Sanskrit shlok with meaning

संतोष के समान कोई सुख नहीं है। 


मन एव मनुष्याणां कारणं बन्धमोक्षयोः।

 हिंदी अर्थ – मन ही मनुष्य के बंधन और मोक्ष का कारण है। 


सत्यं अपि तत् न वाच्यं यत् उक्तं असुखावहं भवति।

हिंदी अर्थ –अगर कोई बात सच है लेकिन सुनकर किसी को ठेस पहुंचती है तो उसे नहीं कहना चाहिए।


अलसस्य कुतो विद्या अविद्यस्य कुतो धनम् ।
अधनस्य कुतो मित्रममित्रस्य कुतः सुखम् ॥

हिंदी अर्थ –आलसी व्यक्ति के लिए ज्ञान कहाँ है? बिना शिक्षा वाले व्यक्ति के लिए पैसा कहाँ है? बिना पैसे के दोस्त कहाँ होते हैं? और मित्रहीन मनुष्य के लिए सुख कहाँ है? यानी अगर किसी व्यक्ति को जीवन में कुछ हासिल करना है तो सबसे पहले उसे अपने आलसी स्वभाव को छोड़ना होगा।

छोटे संस्कृत श्लोक with Meaning 


येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबलः।
तेन त्वाम् अभिबध्नामि रक्षे मा चल मा चल॥

– रक्षाबंधन श्लोक

हिंदी अर्थ –जिस रक्षा सूत्र से महान शक्तिशाली दानवेंद्र राजा बलि को बांधा गया था, उसी रक्षा सूत्र से मैं तुम्हें बांधता हूं, जो तुम्हारी रक्षा करेगा, हे रक्षा, तुम दृढ़ रहो, दृढ़ रहो।


परोपकारः पुण्याय पापाय परपीडनम्।

 हिंदी अर्थ – धर्म क्या है? दूसरों का भला करना ही धर्म है। यह पुण्य है. और अधर्म क्या है? इससे दूसरों को कष्ट हो रहा है. यह पाप है.


दारिद्रय रोग दुःखानि बंधन व्यसनानि च।
आत्मापराध वृक्षस्य फलान्येतानि देहिनाम्।

हिंदी अर्थ – दरिद्रता, रोग, दुःख, बंधन और विपत्तियाँ अपराध के वृक्ष के फल हैं। मनुष्य को इन फलों का सेवन अवश्य करना चाहिए।


गुरुर्ब्रह्मा ग्रुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः।
गुरुः साक्षात् परं ब्रह्म तस्मै श्री गुरवे नमः।।

Sanskrit shlok with hindi meaning 

शिक्षक ब्रह्मा हैं, शिक्षक विष्णु हैं, शिक्षक शिव हैं शिक्षक परम ब्रह्म हैं, जिन्हें मैं प्रणाम करता हूं।

Sanskrit Shlok on Guru


त्वमेव माता च पिता त्वमेव, त्वमेव बन्धुश्च सखा त्वमेव ।
त्वमेव विद्या द्रविणं त्वमेव, त्वमेव सर्वं मम देव देव ॥

हिंदी अर्थ – हे गुरुदेव, आप मेरे माता-पिता के समान हैं, आप मेरे भाई और साथी हैं, आप मेरा ज्ञान और धन हैं। प्रभु, आप ही सब कुछ हैं।


धर्मज्ञो धर्मकर्ता च सदा धर्मपरायणः।
तत्त्वेभ्यः सर्वशास्त्रार्थादेशको गुरुरुच्यते॥

हिंदी अर्थ – जो लोग धर्म को जानते हैं, धर्म के अनुसार आचरण करते हैं, धर्मनिष्ठ हैं और सभी शास्त्रों के सिद्धांतों का प्रचार करते हैं, वे गुरु कहलाते हैं।

माता पिता संस्कृत श्लोक | Sanskrit Shlok on Father


पितृ देवों भवः॥

हिंदी अर्थ – पितृ देवता के समान है।।


पिता धर्मः पिता स्वर्गः पिता हि परमं तपः।
पितरि प्रीतिमापन्ने प्रीयन्ते सर्वदेवताः॥

हिंदी अर्थ – मेरे पिता धर्म हैं, मेरे पिता स्वर्ग हैं, मेरे पिता परम तपस्वी हैं जब कोई अपने पिता की प्रसन्नता प्राप्त करता है तो सभी देवता प्रसन्न होते हैं।


न मातु: परदैवतम्।

हिंदी अर्थ – मां से बढ़कर कोई देव नहीं है।

कर्म पर संस्कृत श्लोक | Sanskrit Shlok on Karma


यथा द्यौश्च पृथिवी च न बिभीतो न रिष्यतः। एवा मे प्राण मा विभेः।।

हिंदी अर्थ – जिस प्रकार आकाश और पृथ्वी न तो भय से ग्रस्त होते हैं और न ही नष्ट होते हैं, उसी प्रकार हे मेरे आत्मा! आप भी भयमुक्त रहें।


अलसस्य कुतः विद्या अविद्यस्य कुतः धनम्। अधनस्य कुतः मित्रम् अमित्रस्य कुतः सुखम् ।।

हिंदी अर्थ – आलसी के लिए विद्या कहाँ, अनपढ़ या मूर्ख के लिए धन कहाँ, दरिद्र के लिए मित्र कहाँ और अमित्र के लिए सुख कहाँ।


आलस्यं हि मनुष्याणां शरीरस्थो महान् रिपु:। नास्त्युद्यमसमो बन्धुः कृत्वा यं नावसीदति।।

हिंदी अर्थ – मनुष्य के शरीर में जो आलस्य रहता है, वह (उनका) सबसे बड़ा शत्रु है। मेहनत के समान दूसरा कोई मित्र नहीं, क्योंकि जो परिश्रम करता है वह कभी दुखी नहीं होता।


 येषां न विद्या न तपो न दानं, ज्ञानं न शीलं न गुणो न धर्मः । ते मृत्युलोके भुवि भारभूता, मनुष्यरूपेण मृगाश्चरन्ति।।

हिंदी अर्थ – जिस व्यक्ति के पास विद्या, तप, ज्ञान, शील, गुण और धर्म नहीं है वह हिरण के समान जीवन व्यतीत करता है।

प्रेरणादायक संस्कृत श्लोक | Small Easy Sanskrit Shlok


भद्रं भद्रं कृतं मौनं कोकिलैर्जलदागमे ।
दर्दूराः यत्र वक्तारः तत्र मौनं हि शोभते ॥

छोटे संस्कृत श्लोक with meaning-

जैसे बरसात के मौसम की शुरुआत में कोयलें चुप हो जाती है, क्योंकि उसे पता है की जहां बोलने वाला मेंढक हो वहां चुप रहना ही बेहतर है।


अति सर्वत्र वर्जयेत्। – हर जगह अति से बचें।


एतदपि गमिष्यति। – यह भी गुज़र जाएगा।


नातिक्रान्तानि शोचेत प्रस्तुतान्यनागतानि चित्यानि । – अतीत को लेकर दुखी न हों. वर्तमान और भविष्य पर ध्यान दें।

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धर्मो रक्षति रक्षितःधर्म रक्षा करता है, रक्षा करता है।

विद्याधनं सर्वधनप्रधानं —किसी व्यक्ति को शिक्षित करना सबसे बड़ा दान है।

जननी जन्मभुमिस्छ स्वर्गादपि गरीयसिमाँ और मातृभूमि स्वर्ग के समान हैं।

शरीरमाद्यं खलु धर्म साधनं — शरीर धर्म/पुण्य को पूरा करने का एक साधन है।

नहि ज्ञानेन सदृशं — इस संसार में ज्ञान के समान कुछ भी नहीं है।

विद्या परदेवता — व्यावहारिक जगत में शिक्षा ही ईश्वर है।

अति सर्वत्र वर्जयेत् — हर काम में संयम बरतना चाहिए

यत्र धूमो तत्र वह्निः —जहां आग होती है वहां धुएं का जरूर होता है।

मौनं सर्वत्र साधनं — मौन को काम पूरा करने के लिए एक उपकरण के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।

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कलः सर्व विरोपयति – समय हर जख्म को भर देता है।

यद् भावं तद् भवति – आप जैसा सोचते हैं वैसा ही बन जाते हैं।

તત त्वम સાસ – जो अनंत है, कभी नही मीटता । वही तुम हो।

अनुगच्छतु प्रवाहं – प्रवाह के साथ जाओ (Go with the Flow)

असतो मा सद्गमय – मुझे अवास्तविक से वास्तविक की ओर ले चलो।

सारज्ञः भव – यथार्थवादी बनें (Be realistic)

मा कद्यपि त्यज – कभी हार न मानना (Never give up)

यथा दृष्टि तथा सृष्टि – It means, how you see the world, the world will appear to you in the same way.

छोटे संस्कृत श्लोक one line love


प्रेमणा विना जीवनं शून्यमेव न किंचन।

हिंदी अर्थ: प्रेम के बिना जीवन कुछ भी नहीं है, कुछ भी नहीं।


प्रेम एव हि मनुष्यस्य जीवनस्य आधारः।

हिंदी अर्थ: प्रेम मानव जीवन का आधार है।


प्रेम परम सुखं प्रेम परमधनं मतम्।

हिंदी अर्थ: प्रेम सबसे बड़ी ख़ुशी है, और प्रेम सबसे बड़ा धन है।


प्रेमवशात् कुरुते कार्याणि मनुष्यः।

हिंदी अर्थ: प्रेम के बल पर ही मनुष्य कार्य करता है।

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जीवन पर संस्कृत श्लोक | Sanskrit Shlok on Life


अहिंसा परमो धर्मः– अहिंसा ही परम धर्म है।

सत्यमेव जयते – सत्य की ही जीत होती है।

वाक्यं सत्यं परमं ब्रह्म– अंतिम वास्तविकता शब्दों में सत्य है।

वसुधैव कुटुम्बकम् – पूरा विश्व एक परिवार है।

आत्मनो मोक्षार्थम् जगत् हिताय च – स्वयं की मुक्ति के लिए और विश्व के कल्याण के लिए।

विद्या ददाति विनयं विनयाद् याति पात्रताम्। पात्रत्वाद्धनमाप्नोति धनाद्धर्मं ततः सुखम्॥ – ज्ञान से नम्रता आती है, नम्रता से पात्रता आती है, पात्रता से धन मिलता है, धन से धर्म आता है और धर्म से सुख मिलता है।

यो न हृष्यति न द्वेष्टि न शोचति न काङ्‍क्षति। शुभाशुभपरित्यागी भक्तिमान् स मे प्रियः॥ – जो हर्ष, द्वेष, शोक और कामनाओं से मुक्त है और जो अच्छे और बुरे दोनों का त्याग करता है, वह मुझे प्रिय है।

अयं निजः परो वेति गणना लघुचेतसाम् उदारचरितानां तु वसुधैव कुटुम्बकम् – संकीर्ण सोच वाले लोग लोगों को अपना और दूसरों को पराया मानते हैं, लेकिन उदार लोग पूरे विश्व को अपने परिवार के रूप में देखते हैं।

सर्वेषाम् स्वस्तिर्भवतु – सभी के लिए सुख और समृद्धि हो।

आपद्धर्मोऽभिसम्प्रेषिता या तु धर्मस्य प्रभावात् -संकट की स्थिति में किए गए कर्तव्य को ‘आपद्-धर्म’ कहा जाता है, जो धर्म के सिद्धांत पर आधारित है।

आत्मनि विद्यते विश्वम् – सारा जगत् स्वयं में विद्यमान है।

अभ्यासेन तु कौन्तेय वैराग्येण च गृह्यते।– हे कौन्तेय (अर्जुन), वैराग्य अभ्यास से प्राप्त होता है।

मनसा शस्त्रं तपो वाचा – मन पर नियंत्रण रखें, वाणी पर नियंत्रण रखें।

सुखं दुःखं न जानामि क्षीणं पुण्यं न जानामि। तत्त्वज्ञानात् तु मोक्षोऽहम् न च जानामि कर्मणि॥ – मैं सुख या दुःख को नहीं जानता, न ही मैं क्षीण योग्यता को जानता हूँ। परन्तु मैं तत्त्व के ज्ञान से मुक्त हो गया हूँ और कर्म में नहीं जानता।

श्रेयान्स्वधर्मो विगुणः परधर्मात्स्वनुष्ठितात् -किसी का अपना कर्तव्य, भले ही अपूर्णता से निभाया गया हो, किसी दूसरे के अच्छे ढंग से निभाए गए कर्तव्य से बेहतर है।

समं सर्वेषु भूतेषु तिष्ठन्नपि न लिप्यते। – जो व्यक्ति सभी प्राणियों के बीच स्थित होकर भी उनके प्रति समान रहता है, वह पाप से अछूता रहता है।


FAQ

1. प्रश्न: संस्कृत में “श्लोक” शब्द का क्या अर्थ है?

उत्तर: संस्कृत में “श्लोक” शब्द का अर्थ है “कहा गया”, “बोला गया” या “वर्णित किया गया”। यह आमतौर पर लयबद्ध छंदों में लिखे गए छोटे, सटीक और अर्थपूर्ण कथनों को संदर्भित करता है।

2. प्रश्न: छोटे संस्कृत श्लोकों का क्या महत्व है?

उत्तर: छोटे संस्कृत श्लोक नैतिकता, जीवन दर्शन, शिक्षा और आध्यात्मिकता जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर गहन ज्ञान और मार्गदर्शन प्रदान करते हैं। उन्हें याद रखना और उनका मनन करना आसान होता है, जो उन्हें सदैव प्रासंगिक बनाता है।

3. प्रश्न: बच्चों को छोटे संस्कृत श्लोक क्यों सिखाए जाने चाहिए?

उत्तर: बच्चों को छोटे संस्कृत श्लोक सिखाना उन्हें संस्कृति, भाषा और मूल्यों से जोड़ने का एक शानदार तरीका है। ये श्लोक नैतिकता, अनुशासन और एकाग्रता जैसे महत्वपूर्ण गुणों को विकसित करने में भी मदद करते हैं।

4. प्रश्न: क्या कोई प्रसिद्ध छोटे संस्कृत श्लोक हैं जो आप साझा कर सकते हैं?

उत्तर: हाँ, निश्चित रूप से! कुछ प्रसिद्ध छोटे संस्कृत श्लोकों में शामिल हैं:

  • “विद्या ददाति विनयम्” – शिक्षा विनम्रता प्रदान करती है।
  • “सत्यमेव जयते” – सत्य की ही हमेशा जीत होती है।
  • “करम फलं नियामकः” – कर्म का फल ही नियंत्रक होता है।
  • “माता पिता गुरुदेवः” – माता-पिता और गुरु देवता के समान होते हैं।

5. प्रश्न: क्या मैं घर पर ही छोटे संस्कृत श्लोक सीख सकता हूँ?

उत्तर: हाँ, आप निश्चित रूप से घर पर ही छोटे संस्कृत श्लोक सीख सकते हैं। आजकल, ऑनलाइन और ऑफलाइन कई संसाधन उपलब्ध हैं जो आपको श्लोकों को सीखने और उनका अभ्यास करने में मदद कर सकते हैं।

6. प्रश्न: क्या छोटे संस्कृत श्लोकों का अध्ययन करने के लिए कोई विशेष योग्यता की आवश्यकता है?

उत्तर: नहीं, छोटे संस्कृत श्लोकों का अध्ययन करने के लिए किसी विशेष योग्यता की आवश्यकता नहीं है। सभी उम्र और पृष्ठभूमि के लोग इन श्लोकों को सीख सकते हैं और उनका लाभ उठा सकते हैं।

7. प्रश्न: छोटे संस्कृत श्लोकों के बारे में और जानने के लिए मैं और क्या कर सकता हूँ?

उत्तर: छोटे संस्कृत श्लोकों के बारे में और जानने के लिए आप कई चीजें कर सकते हैं, जैसे:

  • पुस्तकालय या किताबों की दुकान पर जाएं और संस्कृत श्लोकों से संबंधित पुस्तकें ब्राउज़ करें।
  • ऑनलाइन शोध करें और विभिन्न वेबसाइटों और लेखों को देखें जो छोटे संस्कृत श्लोकों पर चर्चा करते हैं।
  • संस्कृत के जानकार व्यक्ति से बात करें और उनसे श्लोकों के अर्थ और महत्व के बारे में पूछें।