वरुण देव बीज मंत्र | Varun Dev Mantra | वरुण गायत्री मंत्र

सनातन धर्म में जल को वरुण देव कहा गया है। वरुण देव को देवों का देव कहा जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, देवताओं के तीन वर्ग यानी पृथ्वी, वायु और आकाश में वरुण को सर्वोच्च स्थान प्राप्त है।

‘जल’ मानव जीवन के लिए अत्यंत आवश्यक है। जल के बिना जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती।

वरुण भगवान को जल के देवता के रूप में पूजा जाता है।” जल के महत्व को समझते हुए वरुण देव को सर्वोच्च देवता माना जाता है। तीनों लोकों के देवता ब्रह्मा, विष्णु और महेश के बाद वरुण देव का ही स्थान आता है। वैदिक काल से ही वरुण देव को वर्षा का स्रोत माना गया है।

वरुण देव बीज मंत्र | Varun Dev Beej Mantra


ॐ वाम वरुणाय नमः

अर्थ – हे वरुण देव, मैं आपको प्रणाम करता हूं, कृपया मुझे अपना आशीर्वाद दें।

वरुण गायत्री मंत्र | Varun Gayatri Mantra


ॐ जल बिम्बाय विद्महे! नील पुरुषाय धीमहि! तन्नो वरुण: प्रचोदयात्॥

अर्थ – पानी के प्रतिबिंब पर ध्यान करते हुए, हे समुद्र के नीले राजा, मुझे उच्च बुद्धि प्रदान करें। मैं जल के देवता से प्रार्थना करता हूं कि वह मेरे मन को प्रबुद्ध करें

वरुण देव मंत्र | Varun Dev Mantras with Meanings


ॐ अपां पतये वरुणाय नमः

अर्थ – हे जल देव, कृपया मेरा प्रणाम स्वीकार करें और मुझे सद्बुद्धि प्रदान करें तथा मेरे सभी कार्य सफल करें।


नमोस्तु लोकेश्वर पाश पाने यादौ, गणैर्वन्दित पाद् पद्मम। पीठेऽत्रय देवेश गृहाण पूजां, पाहि त्वमस्यमान भगवन्नमस्ते।।

अर्थ – हे नीले समुद्र के राजा, कृपया मेरा प्रणाम स्वीकार करें। मेरी पूजा से प्रसन्न होकर मेरे घर पधारें और मुझे अपना आशीर्वाद दें।


ॐ धुवासु त्वासु क्षितिषु क्षियंतोव्य अस्मत्पाशं वरुणो मुमोचत् अवो वन्वाना अदिते रूपस्था द्यूयं पात स्वस्तिभि: सदा नः स्वः ||

अर्थ – इस मंत्र को एक लाख बार जाप करने से सिद्ध किया जाता है और यह मंत्र घर में धन आने, कर्ज से मुक्ति और सुख-शांति पाने में बहुत सहायक होता है।

वरुण देवता का ध्यान मंत्र


अथ ध्यान मंत्र:

ॐ नमो नमस्ते  स्फटिक  प्रभाय सुश्वेताराय सुमंगलाय। 
सुपशहस्ताय झशासनाय जलाधिनाथाय नमो नमस्ते ॥
ॐ वरुणाय नमः ॥ ध्यानं मर्पयामि॥

वरुण देव आवाहन मंत्र


ॐ तत्त्वयामि ब्रह्मणा वन्दमानः
तदाशास्ते यजमानो हविर्भि:
अहेडमानो वरुणेह ब्रोद्युरुष गुम  सामानऽआयुः प्रमोषीः
ॐ भूर्भुवः स्वः वरुणाय नमः। अवहयामि त्वम् देव। स्थापयामि पूजयामि च।

वरुण देव मंत्रों के प्रकार:

वरुण देव की उपासना के लिए विभिन्न प्रकार के मंत्र प्रचलित हैं। इन मंत्रों को मुख्य रूप से तीन श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता है:

  • बीज मंत्र: ये अत्यंत संक्षिप्त और शक्तिशाली मंत्र होते हैं। इन मंत्रों का जाप सरल होता है, लेकिन इन्हें जपने के लिए दीक्षा या गुरु का मार्गदर्शन लेना आवश्यक माना जाता है। उदाहरण के लिए, “ॐ वरुणाय नमः” एक प्रसिद्ध बीज मंत्र है।
  • शांति मंत्र: ये मंत्र जल से जुड़ी समस्याओं को दूर करने और शांति प्राप्त करने के लिए जप किए जाते हैं। उदाहरण के लिए, “ॐ जलस्य जलस्य नमः” मंत्र का जाप जलजनित रोगों से मुक्ति और पर्याप्त वर्षा के लिए किया जाता है।
  • समृद्धि मंत्र: ये मंत्र सुख-समृद्धि और जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए जप किए जाते हैं। उदाहरण के लिए, “ॐ ऋणां ऋणां नमः” मंत्र का जाप ऋण मुक्ति और आर्थिक सफलता के लिए किया जाता है।

मंत्र जप करते समय सावधानियां:

  • किसी भी मंत्र का जप करने से पहले उसके अर्थ और विधि को अच्छी तरह समझ लेना चाहिए।
  • शक्तिशाली मंत्रों का जप करने के लिए गुरु का मार्गदर्शन लेना उचित होता है।
  • मंत्र जप का प्रयोग केवल सकारात्मक उद्देश्यों के लिए ही करना चाहिए।

वरुण देव मंत्रों से परे:

वरुण देव की उपासना केवल मंत्र जप तक ही सीमित नहीं है। जल संरक्षण और पर्यावरण जागरूकता भी वरुण देव की उपासना का एक महत्वपूर्ण अंग है। जल बचाने के लिए कुछ उपाय इस प्रकार हैं:

  • पेड़ लगाएं: पेड़ जलवायु संतुलन बनाए रखने में अहम भूमिका निभाते हैं।
  • जल का अनावश्यक उपयोग कम करें।
  • टपका हुआ नल ठीक करवाएं।

वरुण देव मंत्र का जाप कैसे करें


  • वरुण मंत्र का जाप करने से पहले स्नान कर लें और साफ कपड़े पहन लें।
  • इसके बाद घर के उत्तर-पूर्व कोने में या पूजा स्थल पर लाल कपड़ा बिछाकर वरुण देव की स्थापना करें और कलश स्थापित करें।
  • कलश में शुद्ध जल के साथ दूध, शहद, जोव, अक्षत मिलाएं।
  • कलश स्थापित करने के बाद सिन्दूर मिश्रित घी का दीपक जलाएं।
  • वरुण देव को सुगंधित धूप और दीप दिखाएं।
  • इसके बाद वरुण देव को सिन्दूर से तिलक करें और लाल फूल चढ़ाएं।
  • वरुण देव को वस्त्र, जनेऊ और इत्र अर्पित करें।
  • वरुण देव को गुड़ से बनी खीर का भोग लगाएं।
  • वरुण देव की पूजा के बाद अर्पित की गई वस्तुओं को जल में विसर्जित कर दें।
  • कलश के जल को अशोक के पत्तों से पूरे घर में छिड़कें।
  • अब वरुण मंत्र का जाप शुरू करें।

वरुण मंत्र जाप लाभ | Varun Dev Mantra Benefits


  • व्यक्ति शारीरिक रोगों से बच जाता है और बड़े से बड़े असाध्य रोग भी ठीक हो जाते हैं।
  • जाप करने से व्यक्ति के जीवन में समृद्धि आती है और उसे जीवन में प्रसिद्धि और सफलता मिलती है।
  • जिन लोगों को पानी से डर लगता है या जिन्हें नदी में डूबने का डर रहता है, उन्हें वरुण मंत्र का जाप करने से ऐसे सभी भय से मुक्ति मिल सकती है।
  • व्यक्ति की मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
  • मंत्र का जाप करने से व्यक्ति के जीवन में किसी भी प्रकार का दुख नहीं आता है।
  • वरुण मंत्र का जाप करने से व्यक्ति और उसके परिवार के किसी भी सदस्य को कभी भी पानी से डर नहीं लगता है।

वरुण मंत्र करते समय किन बातों का रखें ख्याल 


  • जाप करते समय मन में किसी के बारे में गलत विचार नहीं रखना चाहिए।
  • वरुण मंत्र का जाप करने के लिए मंत्रों का सही उच्चारण करना चाहिए।
  • मंत्र का जाप करते समय तामसिक भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए।
  • कलश में शुद्ध जल का प्रयोग करना चाहिए।

FAQ

1. वरुण देव कौन हैं?

वरुण देव जल, वर्षा, समुद्र और नदियों के देवता हैं। वे वैदिक देवता हैं और ऋग्वेद में उनका अनेक बार उल्लेख मिलता है।

2. वरुण देव का क्या महत्व है?

  • जल जीवन का आधार है, इसलिए वरुण देव को जीवनदायी माना जाता है।
  • वे न्याय और व्यवस्था के देवता भी हैं।
  • वे वैदिक मंत्रों के रक्षक और देवताओं के गुरु माने जाते हैं।

3. वरुण देव के क्या रूप हैं?

  • जलदेव: जल के देवता
  • वर्षदेव: वर्षा के देवता
  • सागरदेव: समुद्र के देवता
  • नदीदेव: नदियों के देवता
  • पाशुपति: पशुओं के देवता
  • आदित्य: आदित्यों में से एक

4. वरुण देव की पूजा कैसे करें?

  • जल में गंगाजल या दूध मिलाकर अर्घ्य दें।
  • “ॐ वरुणाय नमः” मंत्र का जाप करें।
  • “वरुण चालीसा” का पाठ करें।
  • शुक्रवार को व्रत रखें और वरुण देव की पूजा करें।
  • नीले रंग के वस्त्र पहनें और नीले रंग के फूल अर्पित करें।

5. वरुण देव से क्या प्रार्थना करें?

  • पर्याप्त वर्षा और जल की प्राप्ति के लिए
  • जल से होने वाली बीमारियों से मुक्ति के लिए
  • नौकरी और व्यापार में सफलता के लिए
  • सुख-समृद्धि और शांति के लिए
  • पापों से मुक्ति और मोक्ष के लिए

6. वरुण देव से जुड़े कुछ प्रसिद्ध मंत्र कौन से हैं?

  • ॐ वरुणाय नमः
  • जलस्य जलस्य नमः
  • ऋणां ऋणां नमः
  • अपां नपातं नमः
  • वरुणो वरुणो नमः

7. वरुण देव की पूजा का शुभ समय कौन सा है?

  • सूर्योदय से पहले
  • सूर्यास्त के बाद
  • शुक्रवार

8. वरुण देव की पूजा करते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?

  • स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें।
  • मन को शुद्ध रखें और एकाग्रता से पूजा करें।
  • वरुण देव के प्रति श्रद्धा रखें।
  • जल का दुरुपयोग न करें।

9. क्या वरुण देव की पूजा किसी भी व्यक्ति द्वारा की जा सकती है?

हाँ, वरुण देव की पूजा किसी भी व्यक्ति द्वारा की जा सकती है।

10. वरुण देव से जुड़े कुछ प्रसिद्ध त्यौहार कौन से हैं?

  • वरुण जयंती
  • जल महोत्सव
  • गंगा दशहरा

11. वरुण देव की पूजा से क्या लाभ होते हैं?

  • जल से संबंधित सभी समस्याओं का समाधान होता है।
  • ग्रहों के दुष्प्रभाव कम होते हैं।
  • ऋण से मुक्ति मिलती है।
  • सुख-समृद्धि और शांति प्राप्त होती है।
  • मोक्ष की प्राप्ति में सहायता मिलती है।

12. वरुण देव की प्रतिमा या मूर्ति कहाँ स्थापित करें?

  • घर के उत्तर-पूर्व दिशा में
  • पूजा स्थान में
  • जल निकाय के पास

13. वरुण देव को क्या भोग लगाया जाता है?

  • दूध
  • दही
  • घी
  • फल
  • मिठाई

14. वरुण देव की कथाएं कहाँ मिलती हैं?

  • ऋग्वेद
  • महाभारत
  • पुराण

15. वरुण देव का वाहन क्या है?

  • मगरमच्छ
  • हंस
  • नाकवाली मछली

16. वरुण देव का आभूषण क्या है?

वरुण देव को पाश धारण करने वाला बताया जाता है। यह पाश न्याय और व्यवस्था का प्रतीक माना जाता है।

17. क्या वैज्ञानिक रूप से भी वरुण देव की उपासना का कोई आधार है?

जल ही जीवन है। पर्यावरण संतुलन के लिए जल प्रबंधन आवश्यक है। वरुण देव की पूजा को जल के महत्व को समझने और उसका संरक्षण करने का प्रतीकात्मक तरीका भी माना जा सकता है।

18. क्या वरुण देव से जुड़े हुए कोई विदेशी देवता भी हैं?

जी हां, कई संस्कृतियों में जल देवताओं का उल्लेख मिलता है। उदाहरण के लिए, ग्रीक पौराणिक कथाओं में पोसाइडॉन (Poseidon) समुद्र के देवता हैं।

19. आज के समय में वरुण देव की उपासना क्यों प्रासंगिक है?

जलवायु परिवर्तन और प्रदूषण जैसी समस्याओं को देखते हुए जल संरक्षण आज के समय में अत्यंत महत्वपूर्ण है। वरुण देव की उपासना हमें जल के महत्व को याद दिलाती है और उसका सदुपयोग करने के लिए प्रेरित करती है।

20. वरुण देव की उपासना के अलावा हम जल संरक्षण के लिए और क्या कर सकते हैं?

  • जल का अनावश्यक उपयोग कम करें।
  • वर्षा जल संचयन करें।
  • नदियों और जल स्रोतों को प्रदूषित होने से बचाएं।
  • पेड़ लगाएं, क्योंकि पेड़ जलवायु संतुलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।