शिव ध्यान मंत्र | Shiv Dhyan Mantra

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Shiv Dhyan Mantra: शिव की किसी भी पूजा में प्रयोग किया जाने वाला ध्यान शिव को अत्यंत प्रिय है। यह ध्यान भगवान की स्तुति करता है और उनके पूरे परिवार को प्रतिबिंबित करता है।

यह ध्यान मंत्र मानसिक शांति प्राप्त करने में सहायक है तथा इससे समस्त सुखों के दाता भोलेनाथ अत्यंत प्रसन्न होते हैं। यह ध्यान मंत्र शिखरिणी छंद में गाया जाता है, और जो भक्त इस प्रकार भगवान की स्तुति करते हैं, वे भगवान से प्रसन्न होते हैं और आशीर्वाद देते हैं।

शिव ध्यान मंत्र: Shiva Dhyan Mantra


शिव ध्यान मंत्र संस्कृत #1

ध्यायेन्नित्यं महेशं रजतगिरिनिभं चारुचन्द्रावतंसं
रत्नाकल्पोज्ज्चलाङ्गं परशुमृगवराभीतिहस्तं प्रसन्नम्।
पद्मासीनं समन्तात् स्तुतममरगणैर्व्याघ्रकृत्तिं वसानं
विश्वाद्यं विश्वबीजं निखिलभयहरं पञ्चवक्त्रं त्रिनेत्रम्॥

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शिव ध्यान मंत्र का अर्थ

जिनके पास चांदी के पर्वत के समान श्वेत कान्ति है, जो सुंदर चंद्रमा को सुशोभित करते हैं, जिनका शरीर रत्नों से उज्ज्वल है, जिनके हाथों में छाया और हिरण, दुल्हन और अभय मुद्रा है, जो प्रसन्न हैं, कमल के आसन पर बैठे हैं।

महेश्वर का प्रतिदिन ध्यान करें, जिनके चारों ओर देवता खड़े होकर उनकी स्तुति करते हैं, जो बाघ की खाल पहनते हैं, जो जगत के पिता हैं, जगत की उत्पत्ति के बीज हैं और सभी भय के विनाशक हैं, जिनके पांच मुख और तीन आंखें हैं ।

Shiv Dhyan Mantra Lyrics


सदाशिव ध्यान मंत्र #2

करचरण कृतं वाक्कायजं कर्मजं वा ।
श्रवणनयनजं वा मानसं वापराधं ॥
विहितमविहितं वा सर्वमेतत्क्षमस्व ।
जय जय करुणाब्धे श्रीमहादेव शम्भो ॥

Shiv Dhyan Mantra Meaning:  हे भगवान शिव, आप दया के सागर हैं। कृपया मेरी सभी गलतियों और कार्यों को क्षमा करें, चाहे वह जानबूझकर या अनजाने में, मेरे हाथों या पैरों, या शब्दों, मेरी आंखों, कानों और दिमाग से उत्पन्न हुई हो।

 शिव ध्यान मंत्र lyrics


रावण शिव ध्यान मंत्र #3

॥ श्रीशिव ध्यानम् ॥

ॐ डिं डिं डिंकत डिम्ब डिम्ब डमरु, पाणौ सदा यस्य वै। 
फुं फुं फुंकत सर्पजाल हृदयं , घं घं च घण्टा रवम् ॥ 
वं वं वंकत वम्ब वम्ब वहनं , कारुण्य पुण्यात् परम् ॥ 
भं भं भंकत भम्ब भम्ब नयनं , ध्यायेत् शिवम् शंकरम्॥
यावत् तोय धरा धरा धर धरा ,धारा धरा भूधरा॥ 
यावत् चारु सुचारु चारू चमरं , चामीकरं चामरं ॥ 
यावत् रावण राम राम रमणं , रामायणे श्रुयताम्॥
तावत् भोग विभोग भोगमतुलम् यो गायते नित्यस:॥ 
यस्याग्रे द्राट द्राट द्रुट द्रुट ममलं , टंट टंट टंटटम् ॥ 
तैलं तैलं तु तैलं खुखु खुखु खुखुमं , खंख खंख सखंखम्॥
डंस डंस डुडंस डुहि चकितं , भूपकं भूय नालम् ॥ 
ध्यायस्ते विप्रगाहे सवसति सवलः पातु वः चंद्रचूडः॥ 
गात्रं भस्मसितं सितं च हसितं हस्ते कपालं सितम् ॥ 
खट्वांग च सितं सितश्च भृषभः , कर्णेसिते कुण्डले । 
गंगाफनेसिता  जटापशु पतेश्चनद्रः सितो मूर्धनि । 
सोऽयं सर्वसितो ददातु विभवं , पापक्षयं सर्वदा ॥
॥ इति शिव ध्यानम् ॥


Shiv Dhyan Mantra Video


शिव ध्यान मंत्र करने के लिए विधि


भगवान शिव की ध्यान और पूजा की कई विधियां हैं जो उन्हें प्रसन्न करने के लिए अपनाई जाती हैं। इन ध्यानों में भगवान की स्तुति करने के विभिन्न तरीके शामिल हैं और उनके पूरे परिवार का ध्यान आकर्षित करते हैं। इस ध्यान से मानसिक शांति मिलती है और हर सुख-दुख के साथी भगवान भोलेनाथ प्रसन्न हो जाते हैं। ध्यान की कुछ प्रमुख विधियाँ निम्नलिखित हैं:

  • मंत्र जाप: भगवान शिव के मंत्र का जाप सिद्ध ध्यान की एक प्रमुख विधि है। “ओम नमः शिवाय” मंत्र का जाप करने से भगवान के प्रति श्रद्धा और आदर्शवाद जागृत होता है और मन को शांति मिलती है।
  • शिवलिंग की पूजा: अपने घर या मंदिर में शिवलिंग स्थापित करके उसकी पूजा करना भी एक प्रमुख उपाय है। जल, दूध, बेलपत्र, धूप, दीप, पुष्प आदि से शिवलिंग की पूजा की जाती है और मन को शांति और प्रसन्नता का अनुभव होता है।
  • शिव चालीसा और स्तोत्र: भगवान शिव की चालीसा और स्तोत्र का पाठ करना उनकी स्तुति करने का एक आसान और प्रभावी तरीका है। इससे ईश्वर के गुणों की महिमा होती है और उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है।
  • सोमवार व्रत: सोमवार के दिन भगवान शिव का व्रत करना सर्वोत्तम माना जाता है। इस दिन विशेष रूप से उनकी पूजा की जाती है, उनके मंदिर में जाकर ध्यान करना अत्यंत पुण्यकारी माना जाता है।

जो भक्त श्रावण मास के सोमवार के दिन इन ध्यान विधियों का पालन करते हैं, वे भगवान शिव को प्रसन्न करते हैं और उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। इस प्रकार ध्यान करने वाले व्यक्ति को मान-सम्मान मिलता है और उसके परिवार को सुख-संपत्ति प्राप्त होती है। भगवान शिव की सेवा करते रहना भी अकाल मृत्यु से बचने का एक अच्छा उपाय है।

शिव ध्यान मंत्र के लाभ: Shiv Dhyan Mantra Benefits


  1. सुख-शांति की प्राप्ति : शिव ध्यान मंत्र का जाप करने से सुख-शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है। यह व्यक्ति के जीवन में संतुष्टि, प्रेम, समृद्धि और खुशियां लाता है।
  2. सम्मान की प्राप्ति: जो व्यक्ति इस प्रकार भगवान शिव की स्तुति करता है उसे सदैव सम्मान मिलता है और उसके परिवार में पूर्ण सुख-समृद्धि रहती है।
  3. भगवान के करीब महसूस करना: शिव ध्यान मंत्र का जाप करने से व्यक्ति भगवान के करीब महसूस करता है। यह भक्त को शिव की कृपा और आशीर्वाद का अनुभव कराता है।
  4. अकाल मृत्यु से बचने का उपाय : अकाल मृत्यु से बचने का एक उपाय है भोले बाबा की सेवा करते रहना। भगवान शिव की सेवा करने से हम उनके करीब आते हैं और उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। जब हम उनके आदर्शों और मार्गदर्शन का अनुसरण करते हैं तो हमारी आत्मा और मन पवित्र हो जाते हैं। इससे हमें बुरे कर्मों और बुरे विचारों से बचने की शक्ति मिलती है।

घर पर शिव ध्यान मंत्र का जाप करने के कुछ अतिरिक्त सुझाव



आप भगवान शिव की छवि या मूर्ति के सामने बैठ सकते हैं।
आप पूजा के दौरान रुद्राक्ष माला पहन सकते हैं।
आप मंत्र का जाप करते समय ध्यान संगीत सुन सकते हैं।
आप अपनी भावनाओं और अनुभवों को एक जर्नल में लिख सकते हैं।

शिव ध्यान मंत्र का जाप एक शक्तिशाली और पुरस्कृत करने वाला अनुभव हो सकता है।

यह आपको तनाव कम करने, अपनी एकाग्रता में सुधार करने और अपनी आध्यात्मिकता को गहरा करने में मदद कर सकता है।


FAQ

1. शिव ध्यान मंत्र क्या है?

शिव ध्यान मंत्र भगवान शिव की स्तुति और ध्यान करने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले मंत्रों का समूह है। इन मंत्रों का जाप करने से मन शांत होता है, एकाग्रता बढ़ती है और आध्यात्मिक उन्नति होती है।

2. शिव ध्यान मंत्र का महत्व क्या है?

शिव ध्यान मंत्र का महत्व निम्नलिखित है:
भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त करना: इन मंत्रों का जाप करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और अपना आशीर्वाद देते हैं।
नकारात्मक विचारों से मुक्ति: शिव ध्यान मंत्र नकारात्मक विचारों को दूर करने और सकारात्मक सोच को बढ़ावा देने में मदद करते हैं।
मन की शांति: इन मंत्रों का जाप करने से मन शांत होता है और तनाव कम होता है।
आध्यात्मिक उन्नति: शिव ध्यान मंत्र आध्यात्मिक उन्नति में सहायक होते हैं और मोक्ष की प्राप्ति में मदद करते हैं।

3. शिव ध्यान मंत्र कब करना चाहिए?

शिव ध्यान मंत्र किसी भी समय किया जा सकता है, लेकिन सुबह जल्दी या शाम को सूर्यास्त के समय करना अधिक लाभकारी होता है।