गौ माता के दोहे | Gau Mata Mantra | गौ माता के श्लोक

गौ माता के श्लोक प्राचीन संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। ये श्लोक हिंदू धर्म में गौ माता की महिमा और महत्व को दर्शाते हैं। हिन्दू समाज में गौ माता को माता के समान पूजा और सम्मान दिया जाता है।

इसी कारण से हर वर्ष कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को गौ माता का प्रसिद्ध त्योहार गोपाष्टमी मनाया जाता है। सनातन धर्म में इस दिन का अधिक महत्व है।

ऐसा माना जाता है कि जो व्यक्ति इस दिन गौ माता की सेवा करता है उसे एक साथ 33 कोटि देवी-देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

ऐसी भी मान्यता है कि गौ माता की सेवा और पूजा करने वाले व्यक्ति के जीवन से हर बाधा और विपदा दूर हो जाती है।

इसलिए इस दिन गौ माता के मंत्र का जाप करने से व्यक्ति को अनेक लाभ मिलते हैं। मान्यता है कि इस दिन गौ माता की पूजा सिर्फ सुबह ही नहीं बल्कि पूरे दिन किसी भी समय की जा सकती है.

तो अगर आप भी चाहते हैं कि आपके जीवन से सारे दुख दूर हो जाएं तो आज के बचे हुए समय में नीचे दी गई जानकारी पढ़ें।

गौ माता के श्लोक


गोहत्यां ब्रह्महत्यां च करोति ह्यतिदेशिकीम्।

यो हि गच्छत्यगम्यां च यः स्त्रीहत्यां करोति च ॥

भिक्षुहत्यां महापापी भ्रूणहत्यां च भारते।

कुम्भीपाके वसेत्सोऽपि यावदिन्द्राश्चतुर्दश ॥

गौ माता का बीज मंत्र | Gau Mata Beej Mantra


ॐ गौ नमः

गोपाष्टमी पूजन मंत्र



*लक्ष्मीर्या लोकपालानां धेनुरूपेण संस्थिता। 

*घृतं वहति यज्ञार्थ मम पापं व्यपोहतु।।
घृतक्षीरप्रदा गावो घृतयोन्यो घृतोद्भवाः।
घृतनद्यो घृतावर्तास्ता मे सन्तु सदा गृहे॥
घृतं मे हृदये नित्यं घृतं नाभ्यां प्रतिष्ठितम्।
घृतं सर्वेषु गात्रेषु घृतं मे मनसि स्थितम्॥
गावो ममाग्रतो नित्यं गावः पृष्ठत एव च।
गावो मे सर्वतश्चैव गवां मध्ये वसाम्यहम्॥
सुरूपा बहुरूपाश्च विश्वरूपाश्च मातरः।
गावो मामुपतिष्ठन्तामिति नित्यं प्रकीर्तयेत्॥

अनुवाद = जो गायें घी और दूध देती हैं, घी बनाती हैं, घी प्रकट करती हैं, घी की नदियाँ और घी के भँवर रखती हैं, वे सदैव मेरे घर में निवास करें। गाय का घी सदैव मेरे हृदय में बसा रहे। मेरी नाभि में घी स्थापित हो जाये. मेरे सारे अंगों में घी फैल जाए और मेरे मन में भी घी का वास हो जाए। गायें मुझसे आगे होनी चाहिए. गायें भी मेरे पीछे-पीछे चलें। गायों को मेरे चारों ओर रहने दो और मैं गायों के बीच में रहता हूं।

इस दिन श्री हरि विष्णु के गोविंद स्वरूप का ध्यान करते हुए गीता के आठवें अध्याय का पाठ करें और “ओम गोविंदाय नमः” कहें। मंत्र का जाप करें.

गौ माता के मंत्र | Gau Mata Mantra


गाय को घास ,अन्न , गुड़ , रोटी या कुछ भी खिलाते समय ; हर एक ग्रास देते समय , हर बार बोले

भो गौ मातरः

इदं अन्नं समर्पयामि

कल्याणम कुरु

 गौमाता की दैनिक प्रार्थना का मंत्र


सुरूपा बहुरूपाश्च विश्वरूपाश्च मातरः।

गावो मामुपतिष्ठन्तामिति नित्यं प्रकीर्तयेत्॥

अनुवाद = मनुष्य को प्रतिदिन प्रार्थना करनी चाहिए कि संसार की सुन्दर एवं बहुरूपिया गौ-माताएँ सदैव उसके समीप आती रहें।

गौ रक्षा का मंत्र


ॐ नमो भगवते त्र्यम्बकायोपशमयोपशमय चुलु चुलु 

मिलि मिलि भिदि भिदि गोमानिनि चक्रिणि हूँ फट् । 

अस्मिन्प्रामे गोकुलस्य रक्षां कुरु शान्तिं कुरु कुरु ठ ठ ठ ।।

गोमाता को प्रणाम करने का मन्त्र 


यया सर्वमिदं व्याप्तं जगत् स्थावरजङ्गमम्।

तां धेनुं शिरसा वन्दे भूतभव्यस्य मातरम्॥

अनुवाद = समस्त चराचर जगत में विद्यमान भूत और भविष्य की माता गौमाता को मैं सिर झुकाकर प्रणाम करता हूँ। 

गौ माता गायत्री मंत्र | Gau Mata Gayatri Mantra


ॐ सर्व देव्यैः बिद्महे मातृरूपाय धीमहि तन्नो धेनुः प्रचोदयात् ॥

गौ नमस्कार मंत्र । गौ माता को नमस्कार करने के मन्त्र


नमो गोभ्यः श्रीमतीभ्यः सौरभेयीभ्य एव च।

नमो ब्रह्मसुताभ्यश्च पवित्राभ्यो नमो नमः ॥

गावो ममाग्रतः सन्तु गावो मे सन्तु पृष्ठतः ।

गावो मे पार्श्वयोः सन्तु गवां मध्ये वसाम्यहम! ||

या लक्ष्मी सर्व भूतानां या च देवी व्यवस्थिता ।

धेनु रूपेण सा देवी मम पापं व्यपोहतु ||

त्वं देवी त्वं जगन्माता त्वमेवासि वसुन्धरा ।

गायत्री त्वं च सावित्री गंगा त्वं च सरस्वती ॥ 

भूतप्रेत पिशाचांश्च पितृ दैवत मानुषान् । 

सर्वान् तारयसे देवि नरकात्पाप संकटात् |

गोपाल आवाहन


ॐ वसुदेव सुतं देवं, कंस चाणूर मर्दनम् ।। 

देवकी परमानन्दं, कृष्णं वन्दे जगद्गुरुम् ।।

गोग्रास नैवेद्य-मन्त्र


सुरभिात्वं जगन्मातर्देवि विष्णुपदे स्थिता।

सर्वदेवमयी ग्रासं मया दत्तमिमं ग्रस।।

प्रदक्षिणा मन्त्र


गवां दृष्ट्वा नमस्कृत्य कुर्याच्चैव प्रदक्षिणम् ।

प्रदक्षिणीकृता तेन सप्तद्वीपा वसुन्धरा ।।

सर्वभूतानां गाव: सर्वसुखप्रदाः।

वृद्धिमाकाङ्क्षता पुंसा नित्यं कार्या प्रदक्षिणा ॥

गौमाता पूजन मंत्र


ॐ आवाहयाभ्याम् देवीं, गां त्वां त्रैलोक्यामातरम् ।। 

यस्यां स्मरणमात्रेण, सर्वपाप प्रणाशनम् ।। 

त्वं देवीं त्वं जगन्माता, त्वमेवासि वसुन्धरा ।

गायत्री त्वं च सावित्री, 

गंगा त्वं च सरस्वती।। 

आगच्छ  देवि कल्याणि, 

शुभां पूजां गृहाण च। 

वत्सेन सहितां माता, 

देवीमावाहयाम्यहम्।। 

आह्वान के बाद पुरुषसूक्त के माध्यम से सभी दिव्य शक्तियों की पूजा करनी चाहिए।

गोग्रास अर्पण


ॐ सुरभिवैष्णवी माता 

 नित्यं विष्णुपदे स्थिता ।। 

ग्रासं गृह्यातु सा धेनुर्यास्ति त्रैलोक्यवासिनी ।। 

ॐ सुरभ्यै नमः।

नैवेद्यं निवेदयामि ।। 

पुष्पाञ्जलि/ माला अर्पण 

ॐ गोभ्यो यज्ञा प्रवर्तन्ते , 

गोभ्यो देवाः समुत्थिताः ।। 

गोभ्यो वन्दाः समुत्कीर्णाः, 

सषडगं पदक्रमाः ।। 

ॐ सुरभ्यै नमः पुष्पाञ्जलीं / पुष्प मालां समर्पयामि

गौ माता के दोहे


यहाँ कुछ गौ माता के दोहे दिए जा रहे हैं:

1 गौ माता की सेवा बड़ा धर्म, गौ माता का अद्भुत मान।
उनकी रक्षा करें, उन्हें करें प्रणाम, जीवन का हो सच्चा ध्यान।।

2 गौ माता की कृपा अद्वितीय, उनका पालन करें हम सदा।
उनके चरणों में बसे भक्ति, करें उनका गुण गाना।।

3 सर्वोपनिषद : गावो दोग्धा गोपाल नंदन:।
पार्थो वत्स: सुधीर्भोक्ता दुग्धं गीतामृतं महत्।।

4 श्याम सुरभि पय विसद अति गुनद करहिं जेहि पान।
गिरा ग्राम्य सिय राम यश गावङ्क्षह सुनहिं सुजान।

5 गौ माता हमारी आँगना, प्रेम और शांति की धारा।
उनके साथ हमेशा रहें, जीवन का हो सुखद संसार।।

गाय माता है धरती का रत्न, इनकी सेवा से मिलता पुण्य।
जो इनकी सेवा करेगा, उसका जीवन होगा सुखमय।

7 गाय माता है पवित्रता की मूर्ति, इनका स्पर्श मिटाता पाप।
जो इनका सम्मान करेगा, उसे मिलेगा ईश्वर का आशीर्वाद।

8 गाय माता है कामधेनु, पूरी करती हर काम।
जो इनकी रक्षा करेगा, उसकी रक्षा करेगा भगवान।

9 गाय के गोबर से गोबरधन, गाय के दूध से अमृत पान।
गाय के सेवा से परम गति, गाय माता है जगदम्भिनी।

10 गाय माता है धरती माता, दूध देती है अमृता।
जो इनकी सेवा करेगा, सुख समृद्धि पाएगा।

प्रसिद्ध कवियों द्वारा गौ माता के दोहे


कबीरदास जी के दोहे:

गोबर पाथर गोरखा, गोरख चढ़्या पहाड़।
जो कबहूँ घट न घटे, सो गोरख के थार।।

अर्थ: गोबर और पत्थर से गोरख बनाए गए हैं। गोरख पर्वत पर चढ़े हुए हैं और जो कभी घटेगा नहीं, वह गोरख का थार (संपत्ति) है।

संत तुलसीदास जी के दोहे:

गौ अघातनी पाप सम, नाहीं और पाप।
जो नर देवे दुःख जगत, धरै नरक में बास।।

अर्थ: गौ को पीड़ा देना सबसे बड़ा पाप है। जो व्यक्ति इस संसार में गौ को दुख देता है, उसे नरक में निवास करना पड़ता है।

संत कबीरदास जी के दोहे:

दूध-दही का खावही, तरुवर फल का खाय।
अघातनी ना सह सकै, हरिभजन में जाय।।

अर्थ: जो लोग दूध-दही और वृक्ष के फल का सेवन करते हैं, वे हिंसा सहन नहीं कर सकते और भगवान का भजन करने चले जाते हैं।

गौ माता के दोहे हमें उनके महत्व और सेवा का महत्वपूर्ण संदेश देते हैं। इन दोहों को सुनकर हमें गौ माता की प्रेम और सम्मान का महत्व समझ में आता है।

निष्कर्ष 


भारतीय संस्कृति में गाय को माता के रूप में पूजा जाता है, जिसे भगवान का सर्वोत्तम दान माना जाता है। गाय ने सभी प्राणियों के पोषण में योगदान दिया है, इसलिए इसे “गावो विश्वस्य मातरः” कहा गया है।

गौ माता मनुष्य, पशु, पक्षी, नदी, तालाब, खेत, जंगल, वायु, जल, आकाश आदि का पालन-पोषण करती है तथा उन्हें शुद्ध एवं पवित्र रखती है।

गौमूत्र और गौशाला की पूजा करने से रोगों का नाश होता है और जीवन सुखी होता है। गुरु, गायत्री, गणेश और गौरी के आह्वान के बाद गुरु, गायत्री, गणेश और गौरी के आह्वान के बाद गोपाल और गोमाता का आह्वान करें।